लाजवाब कर गई भारतीय शेरपाओं की यह टीम, इन्हीं की वजह से बनी G20 घोषणापत्र पर सहमति

काकनूर 1998 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं। जी-20 सम्मेलन के लिए उन्हें संयुक्त सचिव बनाया गया। पर्यटन पर कार्यकारी समूह, विदेश मंत्रियों, शिक्षा, डिजिटल इकॉनमी, विकास, संस्कृति, एंटी करप्शन से जुड़े कार्यों के लिए उन्हें कोआर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई।

sherpas team

जी-20 घोषणापत्र पर सहमति बनाने वाली शेरपा टीम।

Delhi G 20 Summit : G20 सम्मेलन के सफल आयोजन एवं संयुक्त घोषणापत्र पर आम सहमति बनाने के लिए दुनिया भर में भारत की खूब प्रशंसा हो रही है। घोषणापत्र पर आम सहमति को भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। बैठक से पहले यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों का जो रवैया था, उसे देखने के बाद इस बात की चर्चा थी कि शायद संयुक्त घोषणापत्र पर सदस्य देशों के बीच आम सहमति न बन पाए। लेकिन भारत ने अपनी कूटनीति एवं प्रभाव के दम पर असंभव कार्य को संभव कर दिखाया। इसके लिए सबसे ज्यादा तारीफ जी20 सम्मेलन के शेरपा अमिताभ कांत और उनकी टीम की हो रही है। शेरपा की इस टीम में विदेश सेवा के अनुभवी एवं काबिल लोग थे।

अभय ठाकुर, एडिशनल सेक्रेटरी, जी20 सचिवालय

ठाकुर राजनयिक का काम संभालने से पहले इंजीनियर थे। साल 1992 में वह प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में सफल हुए और विदेश सेवा के अधिकारी बने। जी-20 के लिए अमिताभ कांत की अगुवाई में जो टीम बनी उसमें ठाकुर को भी शामिल किया गया। जी-20 घोषणापत्र से जुड़ी हर एक बैठक का वह हिस्सा था। ठाकुर का व्यापक अनुभव विभिन्न मुद्दों पर आम राय बनाने में सहायक सिद्ध हुआ। वह मारीशस, नाइजीरिया, हो चि मिन्ह सिटी, लंदन, मास्को सहित कई देशों में भारतीय राजनयिक के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं।

नागराज नायडू काकनूर, संयुक्त सचिव, जी20 सचिवालय

काकनूर 1998 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं। जी-20 सम्मेलन के लिए उन्हें संयुक्त सचिव बनाया गया। पर्यटन पर कार्यकारी समूह, विदेश मंत्रियों, शिक्षा, डिजिटल इकॉनमी, विकास, संस्कृति, एंटी करप्शन से जुड़े कार्यों के लिए उन्हें कोआर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई। वह चीन में लगातार चार बार राजदूत रहे। काकनूर चीनी भाषा मंडारिन बोलने में माहिर हैं। साथ ही यह अपने फिटनेस को लेकर भी काफी सजग रहते हैं। योग से इनका विशेष लगाव है। काकनूर संयुक्त राष्ट्र में भी सेवा दे चुके हैं। अलग-अलग पदों पर काम करने का इनका व्यापक अनुभव जी20 के लिए संयुक्त घोषणापत्र पर ड्रॉफ्ट बनाने एवं इस पर आम राय बनाने में मदद की। काकनूर ने कानून विषय में मास्टर और अमेरिका के फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एवं डिप्लोमेसी से डिग्री ली है।

एनम गंभीर, संयुक्त सचिव, जी20 सचिवालय

गंभीर 2005 बैच की विदेश सेवा की अधिकारी हैं। विदेश सेवा के अधिकारी के रूप में गंभीर कई देशों में अहम पदों पर तैनात हो चुकी हैं। यह धड़ल्ले से स्पेनिश बोलती हैं। इन्होंने ईरान, अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान से जुड़े विषयों को देखा है। गंभीर गणित एवं एडवांस्ड इंटरनेशनल सेक्युरिटी में डबल मास्टर हैं। जी20 से जुड़ी वार्ताओं के दौरान आने वाली बाधाओं को दूर करने में इन्होंने अपने व्यापक अनुभव की काबिलियत दिखाई। मृदुभाषी एनम कवयित्री भी हैं जो हिंदी, अंग्रेजी और स्पेनिश में कविताएं लिखती हैं।

आशीष कुमार सिन्हा, ज्वाइंट सचिव, जी20 सचिवालय

आईएफएस अधिकारी के रूप में सिन्हा के पास 18 वर्षों का विशाल अनुभव है। सिन्हा केन्या के नैरोबी में भारतीय उच्चायोग में डिप्टी रह चुके हैं। साल 2005 में भारतीय विदेश सेवा में आने के बाद यह संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन में काउंसलर के पद पर रहे। यहां इन्होंने पाकिस्तान से जुड़े विषयों पर काम करते हुए अनुभव हासिल किया। सिन्हा भी स्पेनिश बोलने में माहिर हैं। जी-20 से जुड़ी वार्ताओं में इन्होंने अहम भूमिका निभाई। कांत की शेरपा टीम में शामिल सिन्हा की योग्यता जटिल वार्ताओं को सुलझाने की रही है। इनकी निर्णयात्मक एवं शांत स्वभाव की खूबी संयुक्त घोषणापत्र पर आम राय बनाने में काफी मदद की।

टीम ने कीं 300 द्विपक्षीय बैठकें

कांत ने रविवार को कहा कि यहां ‘लीडर्स समिट’ में अपनाए गए ‘जी20 डिक्लेरेशन’ (घोषणापत्र) पर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय राजनयिकों के एक दल ने 200 घंटे से भी अधिक समय तक लगातार बातचीत की। संयुक्त सचिव ई गंभीर और के नागराज नायडू समेत राजनयिकों के एक दल ने 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं और ‘जी20 लीडर्स समिट’ के पहले दिन ही सर्वसम्मति बनाने के लिए विवादास्पद यूक्रेन संघर्ष पर अपने समकक्षों को 15 मसौदे वितरित किए। कांत ने कहा, ‘पूरे जी20 शिखर सम्मेलन का सबसे जटिल हिस्सा भूराजनीतिक पैराग्राफ (रूस-यूक्रेन) पर आम सहमति बनाना था। यह 200 घंटे से अधिक समय तक लगातार बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठकों, 15 मसौदों के साथ किया गया।’ जाहिर है कि टीम की इस कड़ी मेहनत का फल सदस्य देशों के बीच आम सहमति के रूप में सामने आया।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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