प्रिय आई...कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो कभी नहीं लौटते...जेल से संजय राउत ने मां को लिखा 'भावुक' खत

मुंबई के गोरेगांव में पात्रा 'चॉल' के पुनर्विकास में 1, 034 करोड़ रुपये की कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने शिवसेना नेता संजय राउत को 1 अगस्त को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से वो जेल में ही हैं। राउत फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। यहीं से उन्होंने ये खत लिखा है।

sanjay raut letter

जेल में बंद संजय राउत ने लिखा मां को खत

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल
मुख्य बातें
  • ईडी ने संजय राउत को अगस्त में किया था गिरफ्तार
  • गिरफ्तारी के समय बीजेपी पर लगाया था गंभीर आरोप
  • इस पत्र में भी उन्होंने शिंदे-भाजपा सरकार को घेरा

संजय राउत, शिवसेना के फायरब्रांड नेता, पिछले कुछ महीनों से खामोश हैं। वजह है एक घोटाले का आरोप, जिसके चक्कर में वो फिलहाल जेल में बंद हैं। शिवसेना और राउत दोनों का आरोप है कि भाजपा के साथ नहीं जाने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। अब संजय राउत ने जेल से ही अपनी मां को एक खत लिखा है, ये खत भावुक कर देने वाला है।

संजय राउत ने आपनी मां को लिखे खत में उन्हें आश्वासन देते हुए लिखा है कि हजारों सैनिक देश की सीमा पर तैनात हैं, जो महीनों घर नहीं आते हैं, कुछ तो ऐसे हैं जो वापस ही नहीं लौटते। मैं अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा हूं, मां, झूक नहीं सकता। इसलिए तुमसे दूर हूं। तुम्हीं ने तो उस दिन विदा किया था। कहा था जल्दी आना बेटा।

आगे संजय राउत ने लिखा- "आपकी तरह, शिवसेना भी मेरी मां है। मुझ पर अपनी मां (पार्टी) को धोखा देने का दबाव था। सरकार के खिलाफ न बोलने की धमकी दी गई थी क्योंकि यह महंगा साबित होगा। मैंने खतरे पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए मैं आपसे दूर हूं।"

उन्होंने आगे लिखा कि उद्धव ठाकरे उनके अच्छे दोस्त हैं। नेता और पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे को मुश्किल समय में उनका पक्ष छोड़ने पर अपना चेहरा दिखाना मुश्किल होगा। उनकी अनुपस्थिति में ठाकरे परिवार और शिवसैनिक उनके बच्चे होंगे।

राउत ने अपनी मां को आश्वासन दिया कि वह निश्चित रूप से जेल से बाहर आएंगे। राउत ने अपने पत्र में गिरफ्तारी वाले दिन को भी याद किया है। उन्होंने लिखा कि याद है मांं, जब ईडी छापा मारने आई थी, तुम बालासाहेब की तस्वीर के नीचे बैठी थीं। आपके पूरे घर की तलाशी ली गई, लेकिन आप चुप बैठी रहीं, यहां तक कि किचेन और पूजा घर भी नहीं छोड़ा गया था। जब शाम को वो लोग लेकर जाने लगे, तब तुम मुझसे लिपट गई थी। आपने उस दिन भी रोज की तरह विदा किया था, कहा था जल्दी आना।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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