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कभी दहाड़ता हुआ टाइगर, कभी ढाल-तलवार, जानें शिवसेना के चुनाव चिन्ह का दिलचस्प इतिहास

Shiv Sena symbol : शिवसेना के गठन के बाद उसका चुनाव चिन्ह एक सा नहीं रहा है। जब बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी, तब ये राजनैतिक दल नहीं था बल्कि एक संगठन था और संगठन का निशान दहाड़ता हुआ टाइगर था।

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अलग-अलग चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ती आई है शिवसेना।

Shivsena Symbol : शिवसेना के नाम-निशान की कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट चल रही है। बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने उद्धव ठाकरे गुट को राहत नहीं दी। उद्धव गुट ने शिवसेना के नाम और निशान पर चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से फिलहाल इंकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने हालांकि स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि कोई ऐसा कदम उठाया जाता है जो कि चुनाव आयोग के आदेश के अनुरूप नहीं है तो ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट कानून के अन्य प्रावधानों का सहारा ले सकता है।

संगठन का निशान दहाड़ता हुआ टाइगर थाशिवसेना के गठन के बाद उसका चुनाव चिन्ह एक सा नहीं रहा है। जब बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी, तब ये राजनैतिक दल नहीं था बल्कि एक संगठन था और संगठन का निशान दहाड़ता हुआ टाइगर था। दहाड़ता हुए टाइगर का निशान आज तक शिवसेना के पार्टी कार्यालयों, पार्टी कार्यक्रमों, पोस्टर, बैनर, पार्टी के आधिकारिक दस्तावेजों में इस्तेमाल किया जाता है

बैट-बॉल जैसे अलग-अलग चुनाव चिन्हों पर चुनाव1989 तक शिवसेना के पास चुनाव आयोग से अलॉट किया गया कोई स्थाई चुनाव निशान नहीं था। तब शिवसेना अलग अलग चुनाव में अलग अलग निशान पर चुनाव लड़ती थी। शिवसेना ने 1968 के बीएमसी चुनाव में ढाल और तलवार के निशान पर चुनाव लड़ा। 1980 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना ट्रेन के इंजन के चुनाव निशान पर लड़ी। 1985 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना के कैंडिडेट टॉर्च, सूरज, बैट-बॉल जैसे अलग अलग चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़े। 1985 के चुनाव में शिवसेना से जीते इकलौते विधायक छगन भुजबल का चुनाव निशान टॉर्च था

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