क्या उद्धव की इस'अनमोल चीज'को भी छीन लेंगे शिंदे ! शिव सेना की कहलाती है नींव
Uddhav Thackeray and Eknath Shinde: शिवसेना के संगठन में शाखा और शाखा प्रमुख की अहम भूमिका होती है। जमीनी स्तर पर पकड़ होने के कारण, जिस नेता के पास शाखा और शाखा प्रमुख का साथ रहा, वह पार्टी में बड़ा समर्थन हासिल कर सकता है।
एकनाथ शिंदे और उद्दव ठाकरे के बीच अब इसकी लड़ाई
शाखा और शाखा प्रमुख अहम
असल में शिवसेना के संगठन में शाखा और शाखा प्रमुख की अहम भूमिका होती है। जमीनी स्तर पर पकड़ होने के कारण, जिस नेता के पास शाखा और शाखा प्रमुख का साथ रहा, वह पार्टी में बड़ा समर्थन हासिल कर सकता है। ऐसे में विधायक और सांसदों को अपनी तरफ शामिल करने के बाद शिंदे का पार्टी पर पूरी तरह से कब्जा तभी होगा, जब शाखा और शाखा प्रमुख का समर्थन उन्हें हासिल हो सकता है। और इसी अहमियत को देखते हुए उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी की आगे की रणनीति तय करने के लिए सोमवार को करीबी सहयोगियों के साथ शिवसेना भवन में बैठक की। जिसमें संजय राउत, सुभाष देसाई, अनिल देसाई और अनिल परब ने उद्धव ठाकरे के साथ कई जिलास्तरीय नेताओं को भी आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करने के लिए बुलाया गया। उद्धव ठाकरे ने कहा है कि हमारी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छिन गया है, लेकिन ठाकरे नाम कोई नहीं छीन सकता।
ऐसे करती हैं काम
इसीलिए अब दोनों गुटों के बीच शाखाओं के समर्थन की कोशिशें शुरू हो गई हैं, क्योंकि जब तक शाखाओं को ठाकरे परिवार का समर्थन मिलता रहेगा, उस वक्त तक उद्धव ठाकरे के लिए कमबैक करना आसान होगा। इसीलिए रत्नागिरी में दोनों गुटों के बीच शाखा पर कब्जे के लिए झड़प की खबरें आई थी। शिव सेना की अकेले मुंबई और मुंबई महानगर क्षेत्र में 700 से ज्यादा शाखाएं हैं। हालांकि बात यह है कि शाखाओं का संचालन सीधे तौर शिव सेना द्वारा नहीं किया जाता है। वह स्थानीय नेता और ट्रस्ट द्वारा संचालित होती है। ऐसे में आने वाले समय में उद्धव गुट और शिंदे गुट में इन शाखाओं का समर्थन हासिल करने को लेकर संघर्ष दिख सकता है।
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