क्या उद्धव की इस'अनमोल चीज'को भी छीन लेंगे शिंदे ! शिव सेना की कहलाती है नींव

Uddhav Thackeray and Eknath Shinde: शिवसेना के संगठन में शाखा और शाखा प्रमुख की अहम भूमिका होती है। जमीनी स्तर पर पकड़ होने के कारण, जिस नेता के पास शाखा और शाखा प्रमुख का साथ रहा, वह पार्टी में बड़ा समर्थन हासिल कर सकता है।

एकनाथ शिंदे और उद्दव ठाकरे के बीच अब इसकी लड़ाई

Shiv Sena Symbol And Tussle between Uddhav thackeray and Eknath Shinde:पांच दशक से ठाकरे परिवार की पास रही शिव सेना का अधिकार बाला साहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे के हाथ से फिसलता जा रहा है। चुनाव आयोग ने शिव सेना के चुनाव चिन्ह तीर-कमान को शिंदे गुट को दे दिया है। इसके बाद से उत्साहित शिंदे गुट अब शिव सेना पर पूरी तरह से अधिकार में लेना चाहता है। और इस कवायद में उसने विधानसभा में बने शिवसेना के ऑफिस पर दावा ठोका है। लेकिन दोनों गुट में असली लड़ाई अभी होनी बाकी है, क्योंकि शिव सेना की नींव, 2 ऐसे अनमोल चीजों पर टिकी हुई है, जिस पर जिसका कब्जा होगा, वह आने वाले समय में शिव सेना का असली वारिस बन जाएगा। और अगर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ऐसा कर लेते हैं, तो उद्धव ठाकरे के सामने बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने की चुनौती खड़ी हो जाएगी।

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शाखा और शाखा प्रमुख अहम

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असल में शिवसेना के संगठन में शाखा और शाखा प्रमुख की अहम भूमिका होती है। जमीनी स्तर पर पकड़ होने के कारण, जिस नेता के पास शाखा और शाखा प्रमुख का साथ रहा, वह पार्टी में बड़ा समर्थन हासिल कर सकता है। ऐसे में विधायक और सांसदों को अपनी तरफ शामिल करने के बाद शिंदे का पार्टी पर पूरी तरह से कब्जा तभी होगा, जब शाखा और शाखा प्रमुख का समर्थन उन्हें हासिल हो सकता है। और इसी अहमियत को देखते हुए उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी की आगे की रणनीति तय करने के लिए सोमवार को करीबी सहयोगियों के साथ शिवसेना भवन में बैठक की। जिसमें संजय राउत, सुभाष देसाई, अनिल देसाई और अनिल परब ने उद्धव ठाकरे के साथ कई जिलास्तरीय नेताओं को भी आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करने के लिए बुलाया गया। उद्धव ठाकरे ने कहा है कि हमारी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छिन गया है, लेकिन ठाकरे नाम कोई नहीं छीन सकता।

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