ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग या फव्वारा, कार्बन डेटिंग पर अहम फैसला
ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग या फव्वारा इसके लिए कार्बन डेटिंग की अर्जी लगाई गई है। पिछली सुनवाई में फैसला 11 अक्टूबर के लिए वाराणसी जिला अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मुख्य बातें
- ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग या फव्वारा
- मामला वाराणसी की अदालत में
- कार्बन डेटिंग पर आ सकता है फैसला
ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग या फव्वारा के मामले में कार्बन डेटिंग की अर्जी लगाई गई थी। पिछली सुनवाई में डिस्ट्रिक्ट जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत को हिंदू पक्ष द्वारा दायर याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाना था, जिसमें उन्होंने ढांचे की कार्बन डेटिंग की मांग की थी। सुनवाई से पहले अदालत परिसर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद केस में हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान 'वजुखाना' के पास परिसर में एक 'शिवलिंग' पाया गया था। हिंदू पक्ष ने इसकी कार्बन डेटिंग की मांग की थी। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ढांचा शिवलिंग नहीं बल्कि एक फव्वारा है।
22 सितंबर को किया गया था आवेदन
हिंदू पक्ष ने 22 सितंबर को कोर्ट में एक आवेदन किया था जिसमें 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग की मांग की गई थी। वाराणसी की जिला अदालत ने 29 सितंबर को ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।12 सितंबर को जिला अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की दीवानी मुकदमों की चुनौती को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि हिंदू समूहों को पूजा स्थल अधिनियम द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया गया है। ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करने वाले मुकदमे सुनवाई योग्य हैं।
हिंदू पक्ष का तर्क
हिंदू पक्ष का कहना है कि हमारा दावा है कि यह शिवलिंग है। इसे लेकर जो भ्रम बना हुआ है वह कार्बन डेटिंग जांच के बाद साफ हो जाएगी। कार्बन डेटिंग को लेकर हिंदू पक्षों में भी अलग-अलग सुर हैं। हिंदू पक्ष की वादी राखी सिंह ने कार्बन डेटिंग का विरोध किया है। उन्होंने इसके खिलाफ अर्जी दी है। कार्बन डेटिंग के पक्ष में 4 वादी हैं। राखी सिंह का कहना है कि यह सर्वविदित है कि जो ढांचा मिला है वो शिवलिंग ही है ऐसी सूरत में कार्बन डेटिंग का मतलब नहीं रह जाता।
मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है
मुस्लिम पक्ष कार्बन डेटिंग के विरोध में है। उसका तर्क यह है कि लकड़ी या पत्थर की कार्बन डेटिंग संभव नहीं है। पक्षकार कहते हैं कि किसी भी वस्तू में जब कार्बन हो तभी कार्बन डेटिंग की जा सकती है। सजीव वस्तुओं के अंदर कार्बन होता है और मौत के बाद उनके अवशेषों में बचे हुए कार्बन की गणना कर उम्र का निर्धारण किया जाता है।
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ललित राय author
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