ऐसे ही शिवपाल पर नहीं बढ़ रहा अखिलेश का भरोसा, डिंपल को चाचा की झोली से मिली है बड़ी सौगात!

मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव सैफई, इटावा जिले के जसवंतनगर में आता है। सपा संस्थापक ने अपनी चुनावी पारी साल 1967 में जसवंतनगर से ही शुरू की थी। इसके बाद वह छह बार इस सीट से चुने गए। 1996 में मुलायम ने अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को यह निर्वाचन क्षेत्र सौंप दिया। जो अब तक यहां से छह बार जीत चुके हैं।

शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) अब पूरी तरह से एक बार फिर से भतीजे अखिलेश (Akhilesh Yadav) के साथ जा चुके हैं। अपनी पार्टी का सपा में विलय भी करा दिया है। खबर है कि जल्द ही अखिलेश यादव, चाचा शिवपाल यादव को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं। सवाल ये है कि अखिलेश, अपने चाचा पर कैसे भरोसा जता रहे हैं, क्योंकि शिवपाल कई बार पलटी मार चुके हैं। इस सवाल का जवाब मैनपुरी लोकसभी सीट पर सपा की जीत में छुपा हुआ है।
ये है वजह
मैनपुरी उपचुनाव में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव के पक्ष में वोट बटोरने के मामले में शिवपाल सिंह यादव की सीट जसवंतनगर ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करहल को पीछे छोड़ दिया है। मतलब अखिलेश जहां से विधायक हैं, उस सीट से ज्यादा शिवपाल सिंह यादव ने अपनी सीट से वोट दिलवाया है।
कितना ज्यादा मिला वोट
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार सपा उम्मीदवार डिंपल यादव को जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य से 1.06 लाख अधिक वोट मिले, जबकि करहल में मतों का अंतर 75,462 था। उपचुनाव में प्रचार के दौरान डिंपल यादव के पति और सपा प्रमुख अखिलेश यादव अक्सर अपनी सभाओं में कहते थे कि करहल और जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्रों के बीच एक मुकाबला है कि कौन पार्टी को अधिक वोट देता है।
सुसर से भी आगे निकली डिंपल
डिंपल यादव ने मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में आने वाले सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों - मैनपुरी, करहल, किशनी, भोगांव, और जसवंतनगर में शाक्य से आगे रहीं। उन्होंने शाक्य जाति के मतदाताओं के वर्चस्व वाले भोगांव विधानसभा क्षेत्र में भी अपने प्रतिद्वंद्वी को पीछे छोड़ दिया। मुलायम सिंह पिछले चुनाव में भोगांव से पिछड़ गए थे, लेकिन डिंपल यादव ने इस बार यहां भी बाजी मार ली।
भाषा से इनुपट के साथ
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