Mahakal Lok : शिवराज की सोच से साकार हुई भव्य 'महाकाल लोक' की परिकल्पना
Mahakal Lok Corridor : महाकाल लोक की अवधारणा वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मन में आई थी। इस पर विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं, संतों और विषय-विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श कर योजना तैयार की गई थी जिस पर गंभीरता से अमल करते हुए योजना का प्रथम चरण पूर्ण हुआ है।
महाकाल मंदिर पर अगाध श्रद्धा रखते हैं सीएम शिवराज सिंह चौहान।
Mahakal Lok Corridor : धर्म देश की प्राणवायु है और आस्था इस महान देश की आत्मा। भारतीय संस्कृति अगर आज जीवंत बनी है तो इसके पीछे हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराएं हैं।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारत को दुनिया के मानचित्र पर नई पहचान मिल रही है। उनके कुशल नेतृत्व में हमारे देश के कई वर्षों की समृद्ध विरासत को न केवल संजोने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को पुनर्स्थापित करने का भी बेहतर प्रयास किया जा रहा है। दिव्य 'महाकाल लोक' देश की सनातन संस्कृति की पौराणिकता, ऐतिहासिकता और गौरवशाली परम्परा का अद्भुत संगम है। इसका निर्माण जिस भव्यता और सुंदरता के साथ नए रुप में किया गया है, वह आमजन को आज चमत्कृत कर देता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रथम चरण के इसके निर्माण कार्य को समय से पहले पूर्ण कर अपनी आध्यात्मिक नगरी और विकासवादी सोच की अवधारणा को मजबूत किया है।
महाकाल ने लिया नया आकार शिवराज सिंह चौहान देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में से एक हैं जो हर कदम पर जनता से साथ निभाने का वादा करते हैं, तो निभाते भी हैं और हर कदम पर जनता के साथ खड़े दिखाई देते हैं। क्षिप्रा के तट पर बसी प्राचीनतम नगरी उज्जैन का 'महाकाल लोक' आज उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शी सोच को प्रस्तुत करता है जो भगवान शिव के भक्तों के स्वागत के लिए अब तैयार है। महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन की परिकल्पना को जिस सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया था, सैकड़ों वर्षों के बाद उसके वैभव को मुख्यमंत्री शिवराज ने साकार रूप प्रदान किया है। ये दुनिया के हर कोने से उज्जैन आने वाले भक्तों के लिए के लिए नया अनुभव देने का अनूठा प्रयास भी है जिसके परिणाम आने वाले वर्षों में सामने आएंगे। 'महाकाल लोक' की अवधारणा वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मन में आई थी। इस पर विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं, संतों और विषय-विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श कर योजना तैयार की गई थी जिस पर गंभीरता से अमल करते हुए योजना का प्रथम चरण पूर्ण हुआ है।
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संसाधनों से पूरी तरह से सुसज्जित है
'महाकाल लोक' आज आधुनिक व्यवस्थाओं और संसाधनों से पूरी तरह से सुसज्जित है। कम समय में शिवराज सरकार ने यहाँ पर इतनी व्यवस्थाएं की हैं जो उज्जैन आने वाले लोगों का मन मोह लेती है। मंदिरों के साथ ही पूजा सामग्री और हार-फूल की दुकानों को भी विशिष्ट तरीके से लाल पत्थर से बनाया गया है,जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है। भगवान शिव की जिन कथाओं का महाभारत, वेदों तथा स्कंद पुराण के अवंती खंड में उल्लेख है, उनका जीवंत अनुभव अब धर्मनगरी उज्जैन में लिया जा सकता है । 'महाकाल लोक' के जरिए शिव के सभी स्वरूप एक स्थान पर लाना मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के सामने मुश्किल कार्य था लेकिन सरकार के अथक प्रयासों से यह काम समय में साकार हो गया। आज 'महाकाल लोक' के जरिये भारतीय सांस्कृतिक विरासत दुनिया के फलक पर अपनी चमक बिखेर रही है।
सिंहस्थ में भी दिखी कुशल नेतृत्व क्षमता
2016 में उनके सफल कार्यकाल में ही उज्जैन में ऐतिहासिक सिंहस्थ महाकुम्भ सम्पन्न हुआ था। व्यवस्थाओं और संसाधनों की दृष्टि से इसे भारत का अब तक का सबसे सफलतम धार्मिक आयोजन कहा गया। एक मुखिया की दूरदृष्टि , संकल्प शक्ति और जूनून है जो किसी भी प्रयास में प्राण फूंक देती है। सिंहस्थ के आयोजन में भी मुखिया शिवराज की प्रबल संकल्प शक्ति दिखी जिसने नर्मदा को मोक्षदायिनी क्षिप्रा से जोड़कर उसे प्रवाहमान नदी बना दिया। सिंहस्थ के उस आयोजन में भी उन्होंने निर्माण कार्यों में पल -पल नजर रखी और योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन किया और खुद अपने दौरे कर जनता के बीच रहकर दिक्कतें दूर की। दूरदर्शिता दिखाते हुए पूरे इलाके की व्यवस्थाएं चाक -चौबंद की। ये मुख्यमंत्री शिवराज की कार्यकुशलता , सहजता और व्यवहार ही था जिसने सिंहस्थ जैसे महापर्व को जन -जन से जोड़ते हुए इसे सफल बनाया। सिंहस्थ के सफल आयोजन के बाद से उज्जैन आने वाले भक्तों की तादात बढ़ी है वहीँ सरकार द्वारा इस खूबसूरत नगरी को संवारने के भरपूर प्रयास किये हैं।
खूबसूरत नक्काशी दिला रही है नई पहचान
आज यहाँ का सफर फोरलेन के माध्यम से जहाँ सुविधाजनक हुआ है वहीँ सांस्कृतिक गौरव की नई गाथाएं पत्थरों पर लिखी गयी हैं। फूल प्रसादी काउंटर को नई पहचान दी गई हैं वहीँ दुकानों को परम्परागत लुक। 'महाकाल लोक' में बने स्थानों के नाम सबसे महत्वपूर्ण हैं। 'महाकाल लोक' में खूबसूरत स्थानों की पहचान अंग्रेजी नामों के साथ हो रही थी, लेकिन अब सभी नाम हिंदी में रखे गए हैं। सभी स्थानों के अंग्रेजी नाम हटाकर उन्हें हिंदी नाम दिए हैं। विजिटर फेसिलिटी सेंटर को मानसरोवर, मिड-वे ज़ोन को मध्यांचल, कमर्शियल प्लाजा को त्रिवेणी मंडपम, लोटस पॉन्ड, को कमल सरोवर, नाइट गार्डन को सांध्य वाटिका, गजिबो क्षेत्रों को त्रिपथ मंडपम व भैरव मंडपम, डेक-1 को अवंतिका और डेक-2 को कनकशृंगा नाम दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अंग्रेजी नामों पर आपत्ति जताई थी। उनके निर्देशों पर ही हिंदी नाम रखे गए हैं। आने वाले दिनों में दूसरे चरण के कार्य पूरे होने के बाद यह देश का एक गतिशील शहर बन जाएगा।
खुद शिव साधक हैं शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं शिव भक्त है, वे महाकाल के न केवल समय - समय पर दर्शन करते रहे हैं बल्कि शाही सवारी में कई वर्षों से शामिल होते रहे हैं। मुख्यमंत्री उज्जैन को धार्मिक पर्यटन नगरी के प्रमुख रूप में उभारने को लेकर शुरुआत से प्रतिबद्ध रहे हैं और इसी को ध्यान में रखते हुए सिंहस्थ के वर्ष 2017 में श्री 'महाकाल लोक' की बड़ी योजना तैयार हुई। 'महाकाल लोक' प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ड्रीम प्रोजेक्ट है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज प्रोजेक्ट के संबंध में समय - समय अधिकारियों के साथ कई दौर की मीटिंग्स की और स्वयं भी उज्जैन में जाकर किये जा रहे कार्यों का जायजा लिया। विभिन्न मौकों पर मुख्यमंत्री शिवराज ने बाबा महाकाल से प्रदेश की जनता की सुख समृद्धि के लिए कामना की।
महाकाल के आगे नतमस्तक शिवराज सरकार
प्रदेश के मुख्य शिवराज सिंह चौहान हैं, लेकिन उज्जैन पहुंचते ही वे भी सेवक बन जाते हैं। इसका एक उदाहरण धार्मिक नगरी उज्जैन में पहली बार हुई कैबिनेट की बैठक में देखने को मिला। यहां पर मुख्यमंत्री शिवराज के साथ पूरी कैबिनेट बैठी। अध्यक्षता उज्जैन के महाराजा भगवान महाकाल ने की। टेबल की मुख्य सीट पर बाबा महाकाल की तस्वीर को आसीन किया गया। आसपास सीएम शिवराज और मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य बैठे। इस दौरान पूरी कैबिनेट नतमस्तक रही। बैठक में कैबिनेट ने शहर के विकास से जुड़ी कई योजनाओं को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट की बैठक के पहले खुद कहा कि महाकाल महाराज से सबके कल्याण की कामना करता हूं। महाकाल महाराज यहां के राजा हैं, हम लोग सेवक हैं। सेवक के नाते हम लोग महाकाल महाराज से प्रार्थना कर रहे हैं।
सोशल मीडिया भी हुआ महाकालमय
जैसे-जैसे 'महाकाल लोक' के लोकार्पण का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे पूरा मध्यप्रदेश महाकालमय हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज ने सभी से अपील की है कि वह अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल में श्री 'महाकाल लोक' के लोगो वाली फोटो लगाएं। इसकी शुरुआत खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ट्विटर हैंडल से हुई। मुख्यमंत्री शिवराज ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डीपी बदल ली है। उन्होंने प्रोफाइल पिक्चर पर 'महाकाल लोक' का लोगो लगाया है। मुख्यमंत्री शिवराज ने ट्विटर पर लोगों से अपील करते हुए लिखा कि 'पुण्य अवसर आया है, 11 अक्टूबर को हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री महाकाल महाराज को अर्पित करेंगे "श्री 'महाकाल लोक'" आइये,इस उत्सव के सहभागी बनें और अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल की डीपी व बैनर पर श्रद्धा भाव से श्री महाकालेश्वर की वंदना करें। जय श्री महाकाल। '
मुख्यमंत्री शिवराज की अपील के बाद से ही सोशल मीडिया पर भी हजारों लोगों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की प्रोफाइल पिक्चर में 'महाकाल लोक' का लोगो लगाया है। अब सोशल मीडिया पर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सोशल मीडिया भी महाकालमय हो गया है।
आध्यात्मिक पर्यटन में होगा इजाफा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दूरदर्शी सोच का ही नतीजा है कि आज 'महाकाल लोक' का इतना भव्य रूप सभी को आकर्षित कर रहा है। प्रदेश सरकार के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट से आध्यत्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन बढ़ेगा तो सीधे तौर पर वहां के आम आदमी का जीवन स्तर बेहतर होगा। रोजगार में वृद्धि होगी जिससे प्रदेश की धार्मिक नगरी को विश्व के नक़्शे पर एक अलग पहचान मिलेगी।
शिव के नेतृत्व में नवाचारों का गढ़ बनता प्रदेश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश भर में लगातार नवाचार किये जा रहे हैं। 'महाकाल लोक' के अद्भुत और विहंगम रूप को पूरी दुनिया के सामने लाने के लिए प्रदेश सरकार कई सारे नवाचार कर रही है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि श्री 'महाकाल लोक' का लोकार्पण अद्भुत समारोह होगा, इसमें जन-जन को जोड़ने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। पिछले कई दिनों से खुद मुख्यमंत्री चौहान स्वयं प्रदेशवासियों को विभिन्न संचार माध्यमों से समारोह में आमंत्रित कर रहे हैं , वहीँ उनके द्वारा यह आहवान भी किया जा रहा है कि प्रदेश के सभी मंदिरों में 11 अक्टूबर को दीप जला कर भजन-कीर्तन किये जाएँ। प्रदेश के देव स्थानों में दीपमालाएँ जला कर रोशनी की जाए। सभी जिलों के बड़े शिव मंदिरों में भजन और कीर्तन आदि हों और मंदिरों बिजली की मालाओं की रोशनी से जगमग किया जाए। उज्जैन के मुख्य कार्यक्रम का लाइव प्रसारण करने की व्यवस्था की गई है जिससे देश और दुनिया में लोग इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बन सकें।
शिवमय होगा मध्यप्रदेश
11 अक्टूबर को पूरा मध्यप्रदेश शिवमय होने जा रहा है। अवसर होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रदेश की संस्कारधानी ऐतिहासिक, पौराणिक धार्मिक नगरी उज्जैन में 'महाकाल लोक' के लोकार्पण के साथ ही पूरे प्रदेश में गाँव-गाँव, शहर-शहर देवालयों में बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होकर शिव भजन, पूजन, कीर्तन, अभिषेक, आरती करेंगे। शंख-ध्वनि होगी, घंटे-घड़ियाल बजाए जाएंगे। मंदिरों, नदियों के तट तथा घर-घर दीपक जलाए जाएंगे। धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे तथा भोजन-भंडारे आयोजित होंगे।कार्तिक मेला ग्राउंड उज्जैन में प्रधानमंत्री मोदी के सभा-स्थल पर शिवमय थीम पर केन्द्रित साज-सज्जा की जाएगी। साथ ही विशेष ध्वनि, प्रकाश एवं सुगंध के माध्यम से मंदिर के पवित्र वातावरण का निर्माण किया जाएगा। संतों के लिए पृथक से मंच की व्यवस्था की गई है। प्रख्यात गायक श्री कैलाश खैर द्वारा महाकाल स्तुति गान होगा।
उज्जैन एवं इंदौर संभाग की प्रत्येक ग्राम-पंचायत से श्रद्धालु कार्यक्रम स्थल पर पहुँचेंगे। सभा स्थल पर एक लाख से अधिक नागरिकों की उपस्थिति की संभावना है। उज्जैन में शिप्रा नदी के सभी घाटों पर लगभग एक लाख श्रदालु एलईडी स्क्रीन के माध्यम से कार्यक्रम देखेंगे।
धार्मिक नगरी ने रूप में मिलेगी उज्जैन को पहचान
उज्जैन में 'महाकाल लोक' के निर्माण का फायदा न केवल शिव भक्तों को मिलेगा बल्कि रोजगार और पर्यटन की दृष्टि से भी यह फलदायी होगा। 'महाकाल लोक' में लाखों लोग एक साथ भ्रमण कर सकते हैं और रुकने की दृष्टि से भी इसे सर्व सुविधायुक्त बनाया गया है। अब शिव भक्त यहाँ महाकाल के दर्शन के लिए आएंगे भी और आराम से वे रुक भी सकेंगे। ऐसे में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मध्य प्रदेश में मालवा का यह सम्पूर्ण क्षेत्र धार्मिक कॉरिडोर के रूप में पहचान बनाने में सफल होगा। 'महाकाल लोक' की लोकप्रियता और आकर्षण से इस क्षेत्र में नये-नये उद्योग भी बढ़ेंगे। सांस्कृतिक विरासत,रोजगार और पर्यटन के अदभुत केंद्र के रूप में दुनिया भर में अपना विशिष्ट स्थान बनाने में यह सफल होगा।
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