लिव इन पार्टनर को मिलते हैं ये कानूनी अधिकार,श्रद्धा की ये बात नहीं मान रहा था आफताब
Shraddha Murder Case: भारत में लिव-इन में रहना गैर कानूनी नहीं है। इस बात की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट आज से 16 साल पहले कर चुका हैं। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशन से पैदा होने वाले बच्चों को संपत्ति का भी अधिकार दिया है। इसके अलावा कई हाई कोर्ट भी लिव-इन को जायज ठहरा चुके हैं।
मुख्य बातें
- श्रद्धा अपने मां-बाप के खिलाफ जाकर आफताब के साथ लिव-इन में रह रही थी।
- वह आफताब के साथ शादी करना चाहती थी।
- आफताब को श्रद्धा की शादी करने वाली मांग मंजूर नहीं थी।
Shraddha Murder Case: मुंबई की रहने वाली श्रद्धा वालकर की हत्या के खुलासे ने पूरे देश को हिला दिया है। जिस आफताब (Aftab) से वह प्यार करती थी, उसी ने उसके 35 टुकड़े कर डाले । हैवानियत की हद ऐसी की फ्रिज में रखकर हर रोज वह श्रद्धा के एक टुकड़े को जंगल में फेंकता था। दिल्ली पुलिस के अनुसार आफताब और श्रद्धा लिव-इन (Live In Relationship) में रहा करते थे। लेकिन श्रद्धा इस रिश्ते को नाम देना चाहती थी और यही से आफताब ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। और श्रद्धा की आवाज को उसने हमेशा के लिए खामोश कर दिया। भारत में लिव-इन में रहना गैर कानूनी नहीं है। इस बात की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट आज से 16 साल पहले कर चुका हैं। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशन से पैदा होने वाले बच्चों को संपत्ति का भी अधिकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से स्पष्ट है कि भले ही भारतीय समाज में अभी भी लिव-इन रिलेशन को पूरी तरह से मान्यता नहीं मिली है लेकिन कानून के नजर में वह अवैध नहीं है।संबंधित खबरें
लिव-इन रिलेशन में क्या मिलते हैं अधिकारसंबंधित खबरें
लिव-इन रिलेशनशिप, यानी शादी किए बगैर जब दो बालिग लोग आपसी सहमति से साथ में रहते हैं। और उनका आपस में रिश्ता पति पत्नी की तरह होता है। लेकिन पति पत्नी की तरह रहने के बावजूद दोनों के बीच विवाह जैसा सामाजिक संबंध नहीं होता है। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 में अपने एक फैसले में कहा था कि वयस्क होने के बाद व्यक्ति किसी के साथ रहने या शादी करने के लिए आजाद है। लाइव लॉ के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने अपने अलग-अलग फैसले में लिव-इन को अपराध नहीं माना है।संबंधित खबरें
इस संबंध में अदालत यह भी कह चुका है कि कुछ लोगों की नजर में 'अनैतिक' माने जाने के बावजूद ऐसे रिश्ते में रहना कोई अपराध नहीं है।संबंधित खबरें
इसी तरह सुप्रीम कोर्ट अपने एक फैसले में कह चुका है कि अगर कोई पुरुष और महिला लिव-इन में कई वर्षों से साथ रहते हैं तो उनसे पैदा हुए बच्चों को भी वैध माना जाएगा और उसे पैतृक संपत्ति में हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार होगा।संबंधित खबरें
इसी तरह बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे दो बालिग लोगों की पुलिस सुरक्षा की मांग को जायज ठहराते हुए कहा था कि ये संविधान के अनुच्छेद- 21 के तहत राइट टू लाइफ की श्रेणी में आता है।संबंधित खबरें
श्रद्धा कर रही थी शादी की बातसंबंधित खबरें
दिल्ली में अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त-प्रथम (दक्षिण जिला) अंकित चौहान ने बताया कि मुंबई में काम करने के दौरान श्रद्धा और आफताब को एक दूसरे से प्यार हुआ और अपने परिवार वालों के विरोध के चलते वे अप्रैल आखिर या मई के पहले हफ्ते में दिल्ली आ गये। जब वे राष्ट्रीय राजधानी में रह रहे थे तब मध्य मई में शादी को लेकर उनके बीच कहासुनी हुई जो तेज हो गयी तथा अफताब ने श्रद्धा का गला घोंट दिया।संबंधित खबरें
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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