महादेव के भक्त PM मोदी हिंदू आस्था-अर्थव्यवस्था को मंदिरों से मजबूत के प्लान पर! केदारनाथ-काशी के बाद अब 'मिशन महाकाल'

Mahakal Corridor/Shri Mahakal Lok in Ujjain: काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने साफ संदेश देते हुए कहा था- इस देश की मिट्टी दुनिया अलग है। औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी खड़े उठ सकते हैं। अंग्रेजों के दौर में भी देखिए हमारे लोगों (काशी वालों) ने क्या हाल किया...समय का चक्र देखिए, आतंक के वे काले पर्याय इतिहास के काले पन्नों तक सिमट कर रह गए। पर हम आगे बढ़ रहे हैं।

Mahakal Corridor/Shri Mahakal Lok in Ujjain: नरेंद्र मोदी...हैं तो एक शख्सियत, पर उनकी भी कई पहचान हैं। मौजूदा प्रधानमंत्री, बीजेपी के फायरब्रांड नेता, कुशल वक्ता और कमाल के कूटनीतिज्ञ। पर पर्सनैलिटी के इन 'चेहरों' के अलावा उनका एक और स्वरूप भी है। यह उनके मन-मंदिर में बसता है और समय-समय पर देखने को मिलता है। हम बात करते हैं पीएम मोदी की महादेव भक्ति की। वह भगवान शिव और मां शक्ति के उपासक हैं।
यूपी में वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर उत्तराखंड का केदारनाथ धाम हो या फिर नेपाल में विश्वविख्यात पशुपतिनाथ धाम...इन सभी पवित्र तीर्थ स्थलों पर प्रधानसेवक की शंकर के प्रति असीम आस्था, उपासना और भक्ति पूरे विश्व को दिखी है। वह वहां शीश भी झुकाते हैं और जन कल्याण के लिए कामना भी करते हैं। रोचक बात है कि वह कभी भी अपनी इस भक्ति को लेकर हिचकिचाते नहीं हैं।
विपक्ष का एक धड़ा इस मसले को लेकर उन्हें घेरता भी रहा है। कुछ मौकों पर तो उन पर 'टेंपल रन' पॉलिटिक्स (हिंदू और सवर्ण वोटबैंक को ध्यान में रखकर मंदिर के जरिए की जाने वाली सियासत) का आरोप भी लगाया गया, मगर पीएम मोदी हिंदू आस्था को पुनःजागृत करने के अपने मोर्चे से पीछे न हटते दिखे। फिर चाहे मंदिरों का दौरा हो, वहां से जुड़ी विकास परियोजनाएं या कायाकल्प, पीएम ने बाबा केदारधाम से लेकर काशी विश्वनाथ तक इस बात को साबित कर के दिखाया है।
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