Ayodhya : कैसा है अयोध्या का भव्य एवं दिव्य राम मंदिर, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने साझा की लेटेस्ट जानकारी

Ayodhya Ram Temple: दिव्य एवं भव्य कार्यक्रम के लिए जोर-शोर से काम चल रहा है। 22 जनवरी को संपन्न होने वाले इस समारोह में करीब 8000 अतिथियों के शामिल होने की उम्मीद है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों संपन्न होग।

Ayodhya Ram Mandir

22 जनवरी को होगी राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा।

Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में भगवान राम के बाल स्वरूप राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयारियां अंतिम चरम पर हैं। दिव्य एवं भव्य कार्यक्रम के लिए जोर-शोर से काम चल रहा है। 22 जनवरी को संपन्न होने वाले इस समारोह में करीब 8000 अतिथियों के शामिल होने की उम्मीद है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों संपन्न होग। राम मंदिर के गर्भ गृह में होनी वाली पूजा में वह शामिल होंगे एवं धार्मिक अनुष्ठान पूरा करेंगे। इस बीच, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने राम मंदिर निर्माण एवं इसकी विशेषताओं की जानकारी साझा की है। न्यास की ओर से जो जानकारी दी गई है, वह इस प्रकार है-

अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं:

  • मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है।
  • मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी।
  • मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे।
  • मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा।
  • मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप
  • खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।
  • मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।
  • दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
  • मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।
  • परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
  • मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।
  • मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
  • दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
  • मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है।
  • मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है।
  • मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
  • मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।
  • 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।
  • मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी।
  • मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा।
योग गुरु रामदेव को मिला न्योता

योग गुरु रामदेव ने बुधवार को कहा कि 500 वर्षों के सतत संघर्ष और 25 पीढ़ियों के बलिदान के बाद 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का गौरवशाली दिन विश्व इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मंत्री एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक तिवारी द्वारा रामजन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर में रामलला विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए निमंत्रण पत्र सौंपे जाने के दौरान पतंजलि संस्थापक ने यह बात कही।

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