Karnataka CM: कर्नाटक के नए सीएम की रेस में सिद्धारमैया सबसे आगे! जानें उनके पक्ष में कैसे मजबूत हुआ समीकरण
Karnataka CM: सिद्धारमैया न सिर्फ कर्नाटक की सियासत में इस वक्त सबसे बड़ा चेहरा हैं, बल्कि ऐसे हालात से निपटने के एक्सपर्ट भी हैं। उनके लिए ऐसी सिचुएशन कोई नई नहीं है। वो पहले भी ठीक ऐसे ही हालात से कई बार गुजर चुके हैं और जीत हासिल कर चुके हैं।

कर्नाटक सीएम पद की रेस में सिद्धारमैया सबसे आगे!
- कर्नाटक सीएम की रेस में सिद्धारमैया सबसे आगे
- डीके के सपोर्ट में विधायकों की संख्या कम
- सीएम के नाम का फैसला खड़गे के हाथ में
Karnataka CM: 13 मई को कर्नाटक में चुनाव नतीजे आए और कांग्रेस ने एकतरफा जबरदस्त जीत हासिल की। कांग्रेस की देश भर में डूबती नैया के लिए यह जीत एक बड़ी उम्मीद और दोबारा पार्टी में जान फूंकने की जीत साबित हुई। लेकिन राजस्थान हो या कर्नाटक, कांग्रेस की आपसी कलह और 'कद और पद' की होड़ में पार्टी को नुकसान का सामना करना पड़ता है। बहरहाल बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक नेताओं की भागम भाग जारी है और माना जा रहा है कि आज सोनिया गांधी - राहुल गांधी से फाइनल विचार विमर्श कर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राज्य के मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर देंगे।
सिद्धारमैया vs शिवकुमार ! CM कौन ?
वैसे देखा जाए तो सिद्धारमैया न सिर्फ कर्नाटक की सियासत में इस वक्त सबसे बड़ा चेहरा हैं, बल्कि ऐसे हालात से निपटने के एक्सपर्ट भी हैं। उनके लिए ऐसी सिचुएशन कोई नई नहीं है। वो पहले भी ठीक ऐसे ही हालात से कई बार गुजर चुके हैं और जीत हासिल कर चुके हैं। 2013 विधानसभा चुनाव में भी जब कांग्रेस ने 122 सीटें जीतकर बहुमत हासिल की थी, तब भी सवाल यही था कि मुख्यमंत्री कौन होगा? सिद्धारमैया वर्सेस कद्दावर नेता मल्लीकार्जुन खड़गे के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर कलह उठा। हालांकि तब पार्टी में सिर्फ सात साल का सफर तय किए सिद्धारमैया को सीक्रेट वोटिंग में सबसे ज़्यादा वोट मिले और वो पूरे 5 साल के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री चुने गए।
CM की रेस में सिद्धारमैया के नाम पर लगेगी मुहर? मुख्य वजह जानें
कर्नाटक की सियासत में दो बड़े नाम गिने जाते हैं, बी एस येदियुरप्पा और सिद्धारमैया। हालांकि येदियुरप्पा के सक्रिय राजनीति से बाहर हो जाने के साथ ही, न सिर्फ सिद्धरमैया राज्य के सबसे कद्दावर नेता बनके उभरे बल्कि कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग में भी सबसे फिट बैठते हैं। सिद्धारमैया को इस बार टक्कर डीके शिवकुमार दे रहे हैं, जो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं और कद्दावर नेता भी। सिद्धारमैया ने पिछले कुछ सालों में कर्नाटक के अल्पसंख्यकों , OBC और दलितों में अपनी पकड़ मजबूत बनायी और वोट बैंक बढ़ाया है। कर्नाटक में में BJP पर भ्रष्टाचार का मुद्दा लेकर चुनावी मैदान में उतरने वाली कांग्रेस में, सिद्धारमैया ऐसा नाम हैं जिन पर करप्शन का भी कोई आरोप नहीं है। जबकि शिवकुमार ईडी की रडार पर है। जांच चल रही है, केस दर्ज हैं और वो जेल भी जा चुके हैं। ऐसे में अगर दोबारा सिद्धारमैया के नाम पर कांग्रेस आलाकमान मुहर लगाता है तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी होगी।
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