बांग्लादेश में महफूज नहीं संथाल आदिवासी! दिनाजपुर में उन्मादियों ने ध्वस्त की सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा

Bangladesh Crisis: बांग्लादेश के दिनाजपुर डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर में एक प्रमुख चौराहे पर स्थापित भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की संथाल क्रांति के नायक सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा को उन्मादियों ने ध्वस्त कर दिया। जिसको लेकर बांग्लादेश के साथ-साथ झारखंड के संथाल आदिवासी आहत हैं। बता दें कि संथाल आदिवासी बांग्लादेश में हिंसा और उन्माद की घटनाओं से बुरी तरह डरे हुए हैं।

Bangladesh Crisis

बांग्लादेश संकट

मुख्य बातें
  • संथाल क्रांति के नायक हैं सिद्धो-कान्हू।
  • सिद्धो-कान्हू को देवता की तरह पूजते हैं संथाल आदिवासी।
  • उन्माद की घटनाओं से बुरी तरह डरे हुए हैं संथाल आदिवासी।

Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में रह रहे संथाल आदिवासी समुदाय के लोग भी उन्मादियों के निशाने पर हैं। बांग्लादेश के दिनाजपुर डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर में एक प्रमुख चौराहे पर स्थापित भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की संथाल क्रांति के नायक सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा उन्मादियों ने ध्वस्त कर दी है। बांग्लादेश के इंडिजिनस राइट एक्टिविस्ट खोखन सुतिन मुर्मू ने यह जानकारी दी।

आहत हैं आदिवासी समुदाय

सिद्धो-कान्हू को संथाल समुदाय के लोग देवता की तरह पूजते हैं। उनकी प्रतिमा ध्वस्त किए जाने की खबर पर बांग्लादेश के साथ-साथ झारखंड के संथाल आदिवासी आहत हैं।

डरे हुए हैं संथाल आदिवासी

बांग्लादेश के ग्रेटर सिलहट और उत्तर बंगाल राजशाही, दिनाजपुर, रंगपुर, गैबांधा, नोआगांव, बागुरा, सिराजगंज, चपैनवाबगंज, नटोर, दिनाजपुर आदि जगहों पर संथाल आदिवासियों की अच्छी-खासी आबादी है। ये लोग बांग्लादेश में हिंसा और उन्माद की घटनाओं से बुरी तरह डरे हुए हैं। वहां की कई संथाल बस्तियों के लोग उन्मादियों और दंगाइयों के खौफ से तीर-धनुष लेकर पहरा दे रहे हैं।

यह भी पढ़ें: तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में अशांति और अराजकता, आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा देश, जानिए कैसे हैं हालात

दरअसल, अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1855 में हुई संथाल क्रांति के बाद संथाल समाज के कई लोग बांग्लाभाषी इलाकों में जाकर बस गए थे। 19वीं सदी के उत्तरार्ध में जब ब्रिटिश शासन के दौरान रेलवे ट्रैक का निर्माण चल रहा था, तब भी यहां से संथाली समुदाय के लोग मजदूरी के लिए ले जाए गए थे। वहां संथालों के अलावा उरांव, मुंडा, महतो, महली जाति के लोग भी रहते हैं। इनकी गिनती बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों में होती है।

आम जनजीवन हुआ प्रभावित

झारखंड के संथाल परगना निवासी वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सोरेन बताते हैं कि बांग्लादेश में रह रहे संथाली परिवार के कुछ लोगों से उनकी बात हुई है। वे लोग बांग्लादेशी मुसलमानों के आक्रामक रुख से सहमे हुए हैं। हिंसा की हालिया घटनाओं से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हुई है।

यह भी पढ़ें: 'हमें न्याय चाहिए... ', बांग्लादेश में उथल-पुथल के बीच पहली बार शेख हसीना ने तोड़ी चुप्पी

इस बीच झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी दिनाजपुर में संथाल विद्रोह के नायकों वीर सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा को खंडित किए जाने पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेशी मुसलमान संथाल आदिवासियों की हर पहचान को सोची समझी साजिश के तहत क्रमबद्ध तरीके से मिटा रहे हैं। चाहे झारखंड हो या बांग्लादेश, संथाल आदिवासी दोनों जगह बांग्लादेशी मुसलमानों के आतंक से त्रस्त हैं।

(इनपुट: आईएएनएस)

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

अनुराग गुप्ता author

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों में शुमार हैं और यह टाइम्स नाउ नवभारत की वेबसाइट क...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited