लालदुहोमा से लेकर अफजाल अंसारी तक... 1988 से अबतक 42 सांसद गवां चुके हैं सदस्यता, 14वीं लोकसभा में सबसे ज्यादा
वर्ष 1985 में दल-बदल विरोधी कानून लागू होने के बाद लोकसभा की सदस्यता से सबसे पहले कांग्रेस के लालदुहोमा को अयोग्य करार दिया गया था, जिन्होंने मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए मिजो नेशनल यूनियन के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। इस पार्टी का गठन लालदुहोमा ने ही किया था।
अबतक कितने सांसदों ने गंवाई सदस्यता
हाल के दिनों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ-साथ बसपा सांसद अफजाल अंसारी ने भी अपनी लोकसभा की सदस्यता गंवा दी है। राहुल गांधी को मोदी सरनेम मानहानि मामले में दो साल की सजा हुई है तो वहीं अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में सजा हुई है। 1988 से अबतक 42 सांसदों की सदस्यता जा चुकी है। जिसमें कई बड़े नाम शामिल हैं।संबंधित खबरें
सबसे ज्यादा 14वीं लोकसभा में हुए अयोग्यसंबंधित खबरें
सबसे ज्यादा सदस्य 14वीं लोकसभा में अयोग्य करार दिए गए। प्रश्न पूछने के बदले धन लेने के मामले और क्रॉस वोटिंग के संबंध में 19 सांसदों को अयोग्य करार दिया गया। सांसदों को राजनीतिक पाला बदलने, सांसद के तौर पर अशोभनीय आचरण करने तथा दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा वाले अपराधों के लिए अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने समेत विभिन्न आधारों पर अयोग्य करार दिया गया है।संबंधित खबरें
क्या है कानून
जन प्रतिनिधित्व कानून किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने और दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाए जाने पर सांसदों और विधायकों की स्वत: अयोग्यता से संबंधित है। संबंधित खबरें
सबसे पहले कांग्रेस के ही नेता की गई थी सदस्यतासंबंधित खबरें
वर्ष 1985 में दल-बदल विरोधी कानून लागू होने के बाद लोकसभा की सदस्यता से सबसे पहले कांग्रेस के लालदुहोमा को अयोग्य करार दिया गया था, जिन्होंने मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए मिजो नेशनल यूनियन के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। इस पार्टी का गठन लालदुहोमा ने ही किया था। नौवीं लोकसभा के समय जब जनता दल के तत्कालीन नेता वी पी सिंह ने गठबंधन सरकार बनाई थी, लोकसभा के नौ सदस्यों को दल-बदल विरोधी कानून के उल्लंघन का दोषी माना गया, जिसके कारण उन्हें अयोग्य करार दिया गया।संबंधित खबरें
यूपीए सरकार के दौरान की कहानीसंबंधित खबरें
हालांकि, 14वीं लोक सभा में सदन से सबसे ज्यादा सदस्यों ने अपनी सदस्यता गंवाई। इस दौरान 10 सदस्यों को संसद में प्रश्न पूछने के लिए रिश्वत स्वीकार कर अशोभनीय आचरण के लिए और नौ को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-1 सरकार के विश्वास मत के दौरान क्रॉस-वोटिंग के लिए अयोग्य घोषित किया गया था।जुलाई 2008 में वाम मोर्चे ने अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौते पर समर्थन वापस ले लिया था, जिसके कारण सरकार को विश्वासमत का सामना करना पड़ा था।संबंधित खबरें
वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के छह सदस्यों, बसपा के दो और कांग्रेस तथा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक-एक सदस्य को ‘प्रश्न पूछने के लिए धन लेने के’ मामले में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। बसपा के एक राज्यसभा सदस्य को भी सदन से निष्कासित कर दिया गया था।संबंधित खबरें
राज्यसभा के भी बड़े नाम शामिलसंबंधित खबरें
दल-बदल विरोधी कानून के तहत राज्यसभा में भी सदस्यों ने अपनी सदस्यता गंवाई। इनमें मुफ्ती मोहम्मद सईद (1989), सत्यपाल मलिक (1989), शरद यादव (2017) और अली अनवर (2017) शामिल हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता शिबू सोरेन और समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्य जया बच्चन को क्रमशः 2001 और 2006 में लाभ का पद संभालने के लिए राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। सोरेन जहां झारखंड क्षेत्र स्वायत्त परिषद के अध्यक्ष थे, वहीं जया बच्चन उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद की अध्यक्ष थीं।संबंधित खबरें
सोनिया गांधी को देना पड़ा था इस्तीफासंबंधित खबरें
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की अध्यक्ष के लाभ का पद धारण करने के लिए तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ भी अयोग्यता का मुद्दा उठा था।जिसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।संबंधित खबरें
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