जब से चलने लगी वंदे भारत एक्सप्रेस, स्लो हो गईं सुपरफास्ट ट्रेंनें
जब से वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलने लगी। नामचीन सुपरफास्ट ट्रेनें धीम हो गईं। शताब्दी एक्सप्रेस सबसे अधिक डिमांड वाली सुपरफास्ट ट्रेनों में यात्रा का समय के विश्लेषण से यह पता चलता है।
वंदे भारत के आते ही सुपरफास्ट स्लो गईं
जब सरकार ने वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचलन शुरू किया। उसके बाद से सुपरफास्ट ट्रेनों समेत सभी एक्सप्रेस ट्रेनें की रफ्तार कम हो गई। ट्रेनों के यात्रा में लगने वाले समय के विश्लेषणों से पता चलता है। जब शताब्दी एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनें शुरू की गई थीं तो कोवई और बृंदावन एक्सप्रेस समेत सबसे अधिक डिमांड वाली सुपरफास्ट ट्रेनों में यात्रा का समय अधिक हो गई। इसी तरह रेलवे की आधिकारिक साइट नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम (NTES) पोर्टल के मुताबिक तिरुनेलवेली-चेन्नई वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत के साथ चेन्नई-मदुरै वैगई एक्सप्रेस को 1 अक्टूबर से अपने गंतव्य तक पहुंचने में 15 मिनट अधिक लगेंगे।
साइट के मुताबिक नई समय सारिणी लागू होने के साथ पांडियन, पोधिगई, कन्नियाकुमारी, पर्ल सिटी और नेल्लई एक्सप्रेस जैसी अन्य लोकप्रिय ट्रेनें भी 10 से 15 मिनट की देरी होगी। जबकि वंदे भारत अपनी यात्रा केवल 5 घंटे और 50 मिनट में पूरी करेगी और तेजस एक्सप्रेस 6 घंटे और 15 मिनट का समय लेगी, चेन्नई-मदुरै खंड में एसएफ ट्रेनों की औसत यात्रा अवधि 7 घंटे और 45 मिनट होगी। फिर भी दक्षिणी रेलवे के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं और उन्होंने अभी तक अपडेटेड ट्रेन कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है।
वैगई एक्सप्रेस वर्तमान में मदुरै से सुबह 7:10 बजे शुरू होती है, इसे सुबह 6:40 बजे के लिए रिशेड्यल किया जाएगा और यह सामान्य 2:25 बजे के बजाय 2:10 बजे चेन्नई एग्मोर पहुंचेगी। शेड्यूल में इस बदलाव में विल्लुपुरम और चेंगलपट्टू के बीच अतिरिक्त पांच मिनट और माम्बलम और चेन्नई एग्मोर के बीच अतिरिक्त 10 मिनट शामिल हैं। इसी तरह वापसी यात्रा पर ट्रेन को तिरुचि और मनाप्पराई के बीच पांच मिनट की देरी और शोलावंदन से मदुरै जंक्शन तक अतिरिक्त 10 मिनट की देरी का अनुभव होगा। जबकि आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि समय सारिणी में बदलाव टर्मिनल बाधाओं और अन्य परिचालन को ध्यान में रखते हुए किया गया था। रेल यात्रियों के एक वर्ग ने एक दशक पहले शताब्दी ट्रेनों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर की रणनीति के साथ समानताएं बताईं।
चेन्नई-कोयंबटूर कोवई एक्सप्रेस एक समय सबसे तेज ट्रेनों में से एक थी, जो सात घंटे से भी कम समय में 497 किमी की दूरी तय करती थी। हालांकि, शताब्दी एक्सप्रेस की शुरुआत के बाद यह रात 10:25 से 10:40 बजे के बीच चेन्नई पहुंची, जो पहले के समय से 30 मिनट से अधिक देरी से पहुंची। इसी तरह, बृंदावन एक्सप्रेस बेंगलुरु तक पांच घंटे से भी कम समय लेती थी। अब छह घंटे है।
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