Joshimath भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र घोषितः एक्सपर्ट्स बोले- यह गंभीर चेतावनी, सरकार ने आपदाओं से कुछ न सीखा; PMO में मंथन

Joshimath Sinking Latest Update: अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री निजी तौर पर जोशीमठ की स्थिति पर नजर बनाए हैं। जोशीमठ को बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और प्रसिद्ध स्कीइंग गंतव्य औली के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। इस बीच, उत्तराखंड सरकार ने हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) और देहरादून स्थित भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) से सेटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से जोशीमठ क्षेत्र का अध्ययन करने और फोटो के साथ विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का अनुरोध किया है।

Joshimath Sinking Latest Update: उत्तराखंड के दरकते शहर जोशीमठ को भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र घोषित कर दिया गया है, जबकि एक्सपर्ट्स ने आगाह करते हुए बताया कि वहां जमीन का धंसना मुख्यतः राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) की तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के कारण है। यह एक तरह से बहुत ही गंभीर चेतावनी है कि लोग पर्यावरण के साथ इस हद तक खिलवाड़ कर रहे हैं कि पुराने हालात को फिर से बहाल कर पाना बेहद मुश्किल होगा। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र में एनडीए सरकार की एजेंसियां और विशेषज्ञ जोशीमठ की स्थिति से निपटने के लिए प्लान बनाने में राज्य सरकार की मदद में जुट गए। फिलहाल लोगों की सुरक्षा तत्काल प्राथमिकता है। यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से रविवार (आठ जनवरी, 2023) को हाई लेवल रिव्यू मीटिंग के बाद कही गई।
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4,500 इमारतों में से 610 में बड़ी दरारें- कमिश्नर

गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार (जमीनी स्तर पर स्थिति की निगरानी करने वाली एक समिति के प्रमुख) ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को रविवार को बताया कि दरकते शहर के क्षतिग्रस्त घरों में रहने वाले 60 से अधिक परिवारों को अस्थाई राहत केंद्रों में पहुंचाया गया। स्थानीय प्रशासन ने हिमालयी शहर में चार-पांच स्थानों पर राहत केंद्र स्थापित किए हैं और कम से कम 90 और परिवारों को निकाला जाना है। जोशीमठ में कुल 4,500 इमारतें हैं, जिनमें से 610 में बड़ी दरारें आ गई हैं। वे इससे रहने लायक नहीं रह गई हैं। सर्वे चल रहा है और प्रभावित इमारतों की संख्या बढ़ सकती है।
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