Sita Ki Rasoi: अयोध्या में सीता की रसोई क्यों मानी जाती है खास, जानिए इसका इतिहास और कई दिलचस्प तथ्य

Sita Ki Rasoi: सीता की रसोई से कई स्थानीय किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार सीता जी ने कम से कम एक बार इस रसोई में भोजन अवश्य बनाया होगा।

अयोध्या में सीता की रसोई

Sita Ki Rasoi Ayodhya: 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या को सजाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कार्यक्रम में पहुंच रहे हैं इसलिए सुरक्षा सहित सभी तैयारियां जोरों पर हैं। अयोध्या में ऐतिहासिक महत्व की कई चीजें हैं और इन्हीं में से एक है सीता की रसोई। इसलिए जब लोग राम मंदिर के दर्शन करने आएंगे तो इस जगह की यात्रा भी जरूर करना चाहेंगे। इस पवित्र स्थान के बारे में कुछ रोचक तथ्य और इसका इतिहास जानने की कोशिश करते हैं।

राम जन्मभूमि के पास ही मौजूद

इस पवित्र स्थान का निर्माण राम जन्मभूमि से बहुत दूर नहीं किया गया था। अब यह भी एक मंदिर है जिसके भीतर देखने लायक कई चीजें हैं। यह भूमिगत रसोईघर उन दो रसोईघरों में से एक है जिन पर देवी सीता का नाम है। सीता की रसोई को सदियों पुरानी रसोई माना जाता है जिसका उपयोग देवी सीता स्वयं करती थीं। यह राजकोट, अयोध्या में राम जन्म भूमि के उत्तर-पश्चिम की ओर स्थित है।

सीता की रसोई का ऐतिहासिक महत्व

मंदिर के दूसरे छोर पर भगवान राम, उनके भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ उनकी पत्नियों सीता, उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति की भव्य पोशाक और अलंकृत मूर्तियां स्थित हैं। देवी सीता, जिन्हें कभी-कभी देवी अन्नपूर्णा भी कहा जाता है, भोजन की देवी के रूप में पूजनीय हैं। इसी भावना के तहत मंदिर निशुल्क भोजन प्रदान करके इस परंपरा को जारी रखता है। सीता की रसोई को सदियों पुरानी रसोई माना जाता है जिसका उपयोग देवी सीता स्वयं करती थीं।

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