दिल्ली में राजनीति में सक्रिय हुईं स्मृति ईरानी, क्या हाईकमान ने तय कर दी नई भूमिका?

दिल्ली में जन्मी और पली-बढ़ीं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी शहर में 2 सितंबर को शुरू किए गए पार्टी के सदस्यता अभियान से संबंधित कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल रहीं। उनकी सक्रियता को लेकर कयास लगने लगे हैं।

स्मृति ईरानी

मुख्य बातें
  • दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में हलचलें बढ़ीं
  • पूर्व अमेठी सांसद स्मृति ईरानी की दिल्ली की सियासी गतिविधियों में भागीदारी बढ़ी
  • विधानसभा चुनावों से पहले स्थानीय राजनीति में संभावित भूमिका को लेकर सियासी हलचल

Smriti Irani: दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में हलचलें बढ़ गई हैं। पूर्व अमेठी सांसद स्मृति ईरानी की दिल्ली की सियासी गतिविधियों में भागीदारी बढ़ गई है। अगले साल के विधानसभा चुनावों से पहले स्थानीय राजनीति में उनकी संभावित भूमिका को लेकर दिल्ली बीजेपी में सियासी हलचल पैदा हो गई है। कयास लग रहे हैं कि क्या स्मृति ईरानी को पार्टी हाईकमान ने दिल्ली में अहम जिम्मेदारी देने की तैयार कर ली है। लोकसभा चुनाव में अमेठी में हार के बाद स्मृति ईरानी दिल्ली में सक्रियता बढ़ाकर भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं।

पार्टी के सदस्यता अभियान में सक्रिय रहीं

दिल्ली में जन्मी और पली-बढ़ीं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी शहर में 2 सितंबर को शुरू किए गए पार्टी के सदस्यता अभियान से संबंधित कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल रहीं। पार्टी नेताओं ने कहा कि उन्हें दिल्ली भाजपा की 14 जिला इकाइयों में से सात में सदस्यता अभियान की निगरानी सौंपी गई है। स्थानीय सांसद प्रवीण खंडेलवाल के साथ चांदनी चौक में एक सदस्यता कार्यक्रम में भाग लेने वाली स्मृति ईरानी ने जमीनी स्तर पर भाजपा को मजबूत करने पर जोर दिया और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को पार्टी की सफलता और विकास का स्रोत बताया। इससे पहले, उन्होंने सदस्यता अभियान के तहत दिल्ली भाजपा की तीन दिवसीय संगठनात्मक यात्रा की, कार्यक्रमों में भाग लिया और नवीन शाहदरा, करोल बाग और नई दिल्ली में पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित किया।

केजरीवाल को चुनौती देने वाले चेहरे की तलाश

न्यूज 18 की खबर के मुताबिक, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ये घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब पार्टी नेताओं का एक वर्ग ऐसे चेहरे को आगे बढ़ाने पर जोर दे रहा है जो दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप को कड़ी टक्कर दे सके। 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बिना किसी चेहरे के या किसी नेता को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना चुनाव लड़ा। भाजपा 70 में से आठ सीटें जीतने में सफल रही जबकि आप ने बाकी सीटें जीतीं।
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