तीस्ता सीतलवाड़ की रेगुलर बेल खारिज, गुजरात HC का आदेश- तुरंत करें सरेंडर
Teesta Setalvad: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की रेगुलर बेल को गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। गोधरा दंगे के संबंध में झूठे साक्ष्य गढ़ने के आरोप हैं।
तीस्ता सीतलवाड़
Teesta Setalvad: गुजरात हाईकोर्ट से सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को बड़ा झटका लगा है। गुजरात हाईकोर्ट(Gujrat High Court) ने नियमित बेल को खारिज कर दिया है। अदालत ने तत्काल सरेंडर का आदेश दिया है। यह मामला 2002 में गोधरा कांड (Godhra Riots)के बाद हुए दंगों के मामलों में कथित तौर पर उनके द्वारा साक्ष्य गढ़ने से संबंधित है।न्यायमूर्ति निर्जर देसाई की पीठ ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज करने के अदालत के फैसले को बरकरार रखा। वरिष्ठ वकील मिहिर ठाकोर ने अदालत से फैसले के कार्यान्वयन पर 30 दिनों की अवधि के लिए रोक लगाने की गुहार लगाई।अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि 2002 में दंगों के बाद गुजरात में नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) के नेतृत्व वाली सरकार को अस्थिर करने के उद्देश्य से उन्हें दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल से 30 लाख रुपए मिले थे।अदालत में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने सीतलवाड़ को गुजरात को बदनाम करने का काम करने वाले एक राजनेता का हथियार करार दिया।
क्या है मामला
सीतलवाड़ को पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदान की गई अंतरिम जमानत के माध्यम से गिरफ्तारी से बच गई थीं। सीतलवाड पर 2002 के दंगों के पीछे एक बड़ी साजिश का प्रचार करने और कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को फंसाने का प्रयास करने से संबंधित आरोप हैं।15 जून को अभियोजन पक्ष ने उच्च न्यायालय में नियमित जमानत के लिए सीतलवाड की याचिका का विरोध करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सीतलवाड के खिलाफ आरोप कथित तौर पर झूठे सबूत गढ़ने से संबंधित हैं।
सीतलवाड़ को सहआरोपी पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार के साथ पिछले साल 25 जून को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में निर्दोष व्यक्तियों को झूठा फंसाने की कथित साजिश के संबंध में अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (DCB) द्वारा दर्ज की गई पहली सूचना रिपोर्ट (FIR) के बाद हुई। सात दिन की पुलिस रिमांड के बाद सीतलवा[] को 2 जुलाई को न्यायिक हिरासत में रखा गया था। उनकी गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल (एसआईटी) की क्लीन चिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका खारिज करने के एक दिन बाद हुई थी।
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