पश्चिम बंगाल के इन इलाकों में 15 नहीं, 18 अगस्त को मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस; जानें वजह

Independence Day: भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। देशभर में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पश्चिम बंगाल के कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जो 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाते है, बल्कि वहां 18 अगस्त को तिरंगा फहराया जाता है। जानिए इसकी क्या वजह है।

फाइल फोटो।

Independence Day: आज पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ है। भारत को 78वें स्वतंत्रता दिवस पर दुनियाभर से बधाई संदेश मिल रहे हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आजादी के रंग में रंगा हुआ है, लेकिन क्या आपको पता है कि पश्चिम बंगाल के कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता है। जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल में कुछ ऐसे इलाके भी हैं। आइए, आपको बताते हैं कि आखिरकार ऐसा क्यों है कि इन इलाकों में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता है।

क्या है वजह?

जैसा कि आप सब जानते हैं कि 15 अगस्त, 1947 को हमारा प्यारा भारत देश आजाद हुआ था, लेकिन आजादी के साथ ही 14 अगस्त, 1947 देश का बंटवारा हो गया और भारत के दो हिस्से हो गए। भारत और पाकिस्तान। पाकिस्तान दो भागों में बना। एक पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) और दूसरा पाकिस्तान, जो यथास्थिति में है। यही मुख्य वजह है, जिससे पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता है।

बंटवारे के समय गलत फैसला

दरअसल, जब पूर्वी पाकिस्तान बना, तो बंगाल से कई हिस्सों को काटा गया। इस दौरान पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के कुछ हिस्से, नदिया के राणाघाट और कृष्णा नगर समेत कुछ इलाके पूर्वी पाकिस्तान में मिला दिया गया। अंग्रेज अधिकारी सिरिल रेडक्लिफ के इस फैसले से इन इलाकों के लोग नाखुश थे, क्योंकि वह भारत के साथ रहना चाहते थे, जबकि उन्हें पूर्वी पाकिस्तान में मिला दिया गया। इस फैसले के विरोध में जगह-जगह विरोध शुरू हो गए। इसके बाद अंग्रेज अधिकारी के इस फैसले को पलटा गया और इन इलाकों को भारत के हिस्से में मिला दिया गया।

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