21 दिनों की भूख हड़ताल पर सोनम वांगचुक, लद्दाख के लिए संविधान की छठवीं अनुसूची का क्यों दिया हवाला

Sonam Wangchuk Hunger Strike : मैग्सेसे विजेता ने अपनी भूख हड़ताल छह मार्च को शुरू की। इससे पहले इस मसले को लेकर लद्दाख के नेताओं एवं गृह मंत्रालय के बीच बातचीत हुई लेकिन इस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला।

Sonam Wangchuk

21 दिनों के भूख हड़ताल पर हैं सोनम वांगचुक।

Sonam Wangchuk : पर्यावरणविद और रमन मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता सोमन वांगचुक 21 दिनों की भूख हड़ताल पर हैं। उनके भूख हड़ताल की वजह भी खास है। उनकी मांग लद्दाख को स्पेशल स्टेटस और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की है। भूख हड़ताल पर बैठे वांगचुक ने मंगलवार को कहा कि लद्दाख के लोगों को लगता है कि 'यह इलाका पुराने समय की कॉलोनी बन गया है और बाहर से आए लोग उन पर शासन कर रहे हैं।' मंगलवार को वांगचुक की भूख हड़ताल का 7वां दिन था। फिल्म 'थ्री इडियट' में आमिर खान ने इन्हीं का किरदार निभाया है। अनशन पर बैठ पर्यावरणविद केवल पानी पी रहे हैं।

पूर्ण राज्य नहीं तो विधानसभा युक्त यूटी बने

वांगचुक चाहते हैं कि सरकार संविधान की छठवीं अनुसूची के तहत लद्दाख को खास दर्जे के साथ केंद्रशासित प्रदेश और राज्य का दर्जा प्रदान करे। साल 2019 में बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के केंद्र के फैसले के बाद यहां के लोगों में इसकी मांग जोर पकड़ी है। लोग चाहते हैं कि पूर्ण राज्य का दर्जा न सही तो इसे विधानसभा युक्त केंद्रशासित प्रदेश बनाया जाए।

6 मार्च से भूख हड़ताल पर हैं वांगचुक

मैग्सेसे विजेता ने अपनी भूख हड़ताल छह मार्च को शुरू की। इससे पहले इस मसले को लेकर लद्दाख के नेताओं एवं गृह मंत्रालय के बीच बातचीत हुई लेकिन इस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। रिपोर्टों के मुताबिक एपेक्स बॉडी लेह (ABL) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह के साथ उप समिति स्तर की वार्ता हुई लेकिन इस बैठक एवं बातचीत का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। वांगचुक का कहना है कि उनकी मांगों पर केंद्र सरकार का जो रुख है, उससे लद्दाख के लोग हताश और निराश हैं। उनका दावा है कि लोगों की मांग एवं चिंताओं को लेकर संवेदनशील नहीं है।

क्या है संविधान की छठवीं अनुसूची?

संविधान की छठवीं अनुसूची संवेदनशील इलाकों, भाषाई एवं सांस्कृतिक आधार पर जनजातियों को संरक्षण देती है। संविधान के मुताबिक जहां भी 50 फीसदी से ज्यादा आबादी जनजातीय है उस क्षेत्र को संरक्षण मिलना चाहिए। लद्दाख में जनजातीय आबादी करीब 97 फीसद है। 2019 के लोकसभा एवं लद्दाख हिल काउंसिल के चुनाव में भाजपा ने लद्दाख को संरक्षण देने का वादा किया था। वांगचुक का कहना है कि भाजपा अब अपने इस वादे से मुकर रही है।

लद्दाख एक ग्रह जैसा-वांगचुक

लद्दाख के बारे में चिंता जाहिर करते हुए वांगचुक ने कहा कि यह इलाका एक अलग ग्रह जैसा है। इसका संरक्षण करना जरूरी है। यहां उद्योग आएंगे तो यहां का प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट होगा। निर्माण से वैसे ही खतरे बढ़ेंगे जैसे इन दिनों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में देखने को मिल रहा है। लद्दाख कम से कम विधानसभा के साथ केंद्रशासित प्रदेश बने ताकि यहां के फैसले यहीं के लोग करें न कि बाहर से आए लोग।

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