आजाद का खुलासा- सोनिया चाहती थीं 2014 के बाद हिमंत बनें असम के सीएम, राहुल ने कहा- उन्हें जाने दो

कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में बताया कि पूर्वोत्तर में पार्टी का पतन कब शुरू हुआ। 'आजाद-एन ऑटोबायोग्राफी' बुधवार को लॉन्च हुई।

Himanta Biswa Sarma Assam CM

सोनिया चाहती थीं 2014 के बाद हिमंता बनें असम के सीएम

Azad Reveals On Himanta: कांग्रेस छोकर अपनी अलग पार्टी बना चुके दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस को लेकर खुलासे का सिलसिला जारी है। अबा आजाद ने असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को लेकर नया खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि 2014 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की जगह हिमंत बिस्वा सरमा को सीएम बनाने की अनुमति दी थी, लेकिन राहुल गांधी ने ऐसा होने से रोक दिया।

कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में बताया कि पूर्वोत्तर में पार्टी का पतन कब शुरू हुआ। 'आजाद-एन ऑटोबायोग्राफी' बुधवार को लॉन्च हुई। पुस्तक आजाद की राजनीतिक यात्रा और ऐतिहासिक पलों से संबंधित है।

2014 में हिमंता ने की थी बगावत

जुलाई 2014 में सरमा ने नेतृत्व के खिलाफ बगावत करते हुए गोगोई कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। वह एक साल बाद बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी में उनके प्रवेश ने पूर्वोत्तर में कांग्रेस के पतन और भाजपा के उदय की नींव रखी। सरमा 2021 में असम के मुख्यमंत्री बने। आजाद को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के पर्यवेक्षक के रूप में असम में सरमा के मंत्री के रूप में इस्तीफे के कारण पैदा हुए राजनीतिक संकट के बाद भेजा गया था। आजाद ने कहा कि स्थिति का आकलन करने के बाद सोनिया गांधी ने कहा था कि सरमा के पास स्पष्ट बहुमत है और उन्हें नया सीएम होना चाहिए। योजना बन गई थी और आजाद को गोगोई की जगह सरमा को सीएम बनाने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए तैनात किया गया था।

तरुण गोगोई ने पद छोड़ने का वादा किया था

र, 2001 में असम के मुख्यमंत्री बने दिवंगत तरुण गोगोई ने वादा किया था कि अगर पार्टी दूसरी बार सत्ता में आती है तो वह पद छोड़ देंगे। आजाद ने दावा किया कि गोगोई ने कहा कि वह अपने दाहिने हाथ माने जाने वाले हिमंत सरमा के लिए पद छोड़ देंगे। हालांकि कांग्रेस ने 2006 और 2011 में दो और बार जीत हासिल की, लेकिन गोगोई ने अपनी कुर्सी खाली नहीं की। 2014 में जब सरमा ने विद्रोह किया तो उन्हें और उनके समर्थकों को पार्टी ने दिल्ली बुलाया। उन्होंने सदन में कांग्रेस के 78 में से 45 से अधिक विधायकों का समर्थन साबित किया। असम विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 120 है।

गोगोई के साथ थे महज 7 विधायक

आजाद ने लिखा- हालांकि, जब गोगोई को आने या अपने विधायकों को दिल्ली भेजने के लिए कहा गया, तो केवल 7 विधायक ही आए। आजाद ने कहा कि बाकी विधायक आलाकमान के फैसले का पालन करने के लिए तैयार थे। इसकी सूचना सोनिया गांधी को दी गई। मैंने सोनिया जी को स्थिति की सूचना दी, जिन्होंने कहा कि हिमंत के पास स्पष्ट बहुमत है और उन्हें नया सीएम होना चाहिए। उन्होंने मुझे अगले दिन प्रभारी महासचिव के साथ असम जाने और नए नेता के रूप में हिमंता के औपचारिक चुनाव की देखरेख करने के लिए कहा।

राहुल ने कहा- हिमंत को जाने दो

आजाद के असम जाने से एक दिन पहले राहुल गांधी ने उनसे मिलने के लिए कहा। उस बैठक में तरुण गोगोई और उनके बेटे गौरव गोगोई भी शामिल थे। यहां राहुल ने घोषणा की कि नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा। जब उन्हें यह बताया गया कि हिमंत के साथ अधिकतर विधायक हैं, तो राहुल ने कहा कि उन्हें (हिमंत) जाने दो। बैठक खत्म हो गई। मुझे यकीन नहीं है कि राहुल ने खुद को प्रभावशाली बताने के लिए ऐसा कहा या वह इस बात से अनजान थे कि उनके इस फैसले के न केवल असम राज्य में बल्कि पूरे पूर्वोत्तर में दूरगामी परिणाम होंगे।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited