सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, महंगाई, अडानी और मणिपुर जैसे मुद्दों पर संसद में चर्चा की मांग

संसद के स्पेशल सत्र को लेकर कांग्रेस संसदीय दल और इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने बैठक की। इसके बाद सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कई सेवा खड़े किए और 9 महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया।

सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी

कांग्रेस संसदीय दल और इंडिया गठबंधन के घटक दलों की बैठक के बाद आज सुबह कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। बैठक ये तय हुआ था कि हम सदन का बहिष्कार नहीं करेंगे। ये मौका जनता के मुद्दे उठाने का है। उन्होंने ये पत्र कल इंडिया की बैठक में जो भी तय हुआ है उसे लेकर लिखा गया। सोनिया गांधी के पीएम को लिख पत्र में तीन महत्वपूर्ण बातों के इर्द गिर्द संसद में चर्चा की मांग की गई है। ये सभी मुद्दे इंडिया के 24 घटक दलों के साथ सलाह मशविरे के बाद तय किए गए हैं।
  • पहली बात- बिना मशविरे के संसद का विशेष सत्र बुला लिया गया है।
  • दूसरी बात- जब कभी विशेष सत्र होता है तो कार्यसूची बनती है। एक आम सहमति करते हुए सत्र का एजेंडा तय होता है। इसमें एजेंडा नहीं है।
  • तीसरी बात- जो बुलेटिन में छपा है उसमें हर दिन सरकारी बिजनेस है। पांचों दिन सरकारी बिजनेस के लिए अलॉटेड है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
जो मुद्दे हम उठाना चाहते थे लेकिन सरकार की मनमानी की वजह से उठा नहीं पाए। इस पर पीएम से सोनिया गांधी ने कहा है कि हमारे तरफ से 9 महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। रूल क्या हो उस पर बातचीत हो सकती है, लेकिन प्राथमिकता मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए।

ये 9 मुद्दे हैं जिन्हें INDIA उठाएगा

  1. मौजूदा आर्थिक हालत, आर्थिक विषमताएं, महंगाई, बेरोजगारी और एमएसएमई सेक्टर की समस्या को लेकर विस्तृत चर्चा हो।
  2. किसान संगठन के साथ सरकार की बातचीत हुई थी। तीन काले कानून वापस हुए। लेकिन कुछ वादे एमएसपी को लेकर कानूनी गारंटी को लेकर वादा हुआ था। उस पर क्या कार्रवाई हुई और सरकार की मंशा क्या सरकार साफ करे।
  3. अडानी समूह को लेकर जो जांच हो रही अब तक उससे ये साफ हो गया है वो बिना जेपीसी के बिना सही जांच संभव नहीं है। मोदी सरकार और अडानी के बीच जो रिश्ते हैं वो साफ होना चाहिए।
  4. जातीय जनगणना, हम चाहते थे कि आर्थिक और सामाजिक तौर पर जनगणना हो। न सिर्फ जातीय जनगणना नहीं हुई बल्कि रूटीन जनगणना भी नहीं हो रही है। इसकी वजह से 140 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थी नहीं बन पा रहे हैं।
  5. संघीय ढांचे पर जो आक्रमण हो रहा है। केरल, तमिलनाडु में अपने देखा। राज्यपाल की भूमिका को लेकर कई जगह सवाल खड़े हुए। ये जानबूझकर किया जा रहा है कि जहां गैर बीजेपी सरकार है उनके संवैधानिक अधिकार को छीना जा रहा है। सोनिया गांधी ने अपने पत्र में कहा है कि केंद्र और राज्य के संबंधों को लेकर चर्चा हो।
  6. प्राकृतिक आपदा को लेकर चर्चा हो। कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ है। लेकिन इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं की गई है। स्थानीय प्रशासन काम तो कर रहा लेकिन केंद्र से कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है।
  7. 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री ने क्लीन चिट दे दिया था लेकिन चीन हमारी जमीन पर बैठा हुआ है। लेकिन इस पर तीन साल से कोई चर्चा नहीं हुई है। इसकी हमें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। हमें इसको लेकर एक सामूहिक संकल्प संसद की तरफ से दुनिया के सामने रखा जाए। सिर्फ आलोचना करना नहीं समाधान भी निकालना मकसद।
  8. सांप्रदायिक तनाव एक बड़ी समस्या है। नॉन फ्रिंज एलिमेंट भी इसमें शामिल है।
  9. मणिपुर हिंसा को लेकर 4 महीने हो गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संवैधानिक संस्था खत्म हो गई हैं। लाखों लोग विस्थापित हुए हैं।
सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन रचनात्मक तौर पर इन मुद्दों पर चर्चा होना जरूरी है। इसके अलावा कुछ राज्यों के सांसद अपने मुद्दे उठाना चाहते हैं। 18 तारीख तक समय है। सिर्फ सरकारी एजेंडे पर संसद का सदन नहीं चलना चाहिए। ये हम स्वीकार नहीं करते हैं। ये परंपरा के खिलाफ है।
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