सौरव गांगुली के साथ हो गया 'खेला'! बंगाल-कर्नाटक से गजब सियासी कनेक्शन
Sourav Ganguly And New BCCI President Election: सौरव गांगुली की बीसीसीआई अध्यक्ष पद से विदाई तय हो गई है। और उनकी जगह कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और 1983 की विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रोजर बिन्नी जगह ले सकते है। और अब इस फैसले को लेकर सियासी घमासान भी शुरू हो गया है।
सौरव गांगुली पर शुरू हुई राजनीति
- तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर सौरव गांगुली को अपमानित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
- बंगाल विधान सभा चुनाव के पहले सौरव गांगुली के भाजपा में शामिल होने की काफी चर्चा थी।
- हालांकि भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया है।
तृणमूल कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने
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इसलिए सौरव गांगुली की जगह रोजर बिन्नी को बीसीसीआई अध्यक्ष बनान जाने की खबरों पर राजनीति भी शुरू हो गई है। गांगुली के गृह राज्य की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भाजपा पर पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान को 'अपमानित करने की कोशिश' करने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि भाजपा ने ऐसा इसलिए क्योंकि वह गांगुली को पार्टी में शामिल नहीं कर पाई। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि भाजपा ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले लोगों के बीच यह संदेश फैलाने की कोशिश की थी कि राज्य में बेहद लोकप्रिय गांगुली पार्टी में शामिल होंगे।टीएमसी ने यह भी दावा किया कि यह 'राजनीतिक प्रतिशोध' का एक उदाहरण है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह दूसरे कार्यकाल के लिए बीसीसीआई के सचिव पद पर बने रह सकते हैं लेकिन गांगुली अध्यक्ष पद पर ऐसा नहीं कर सकते।
असल में तृणमूल कांग्रेस भाजपा पर इसलिए इस तरह के आरोप इसलिए लगा रही है, कि सौरव गांगुली की भाजपा से करीबी जग जाहिर है। उनके गृह मंत्री अमित शाह के बेटे और बीसीसीआई के सचिव जय शाह से अच्छे संबंध रहे हैं । इसके अलावा खुद गृह मंत्री अमित शाह बीते मई बंगाल दौर के दौरान सौरव गांगुली के घर गए थे और उनके परिवार के साथ डिनर किया था। इस बीच ऐसी चर्चा है बंगाल से भाजपा गांगुली परिवार के किसी करीबी को राज्य सभा भेज सकती है।
हालांकि तृणमूल कांग्रेस के आरोपों को भाजपा ने नकार दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने इसे 'निराधार' करार दिया है।उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि भाजपा ने सौरव गांगुली को पार्टी में शामिल करने की कोशिश कब की। सौरव गांगुली एक दिग्गज क्रिकेटर हैं। कुछ लोग अब बीसीसीआई में बदलाव पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। क्या उनकी कोई भूमिका थी जब उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था। टीएमसी को हर मुद्दे का राजनीतिकरण करना बंद कर देना चाहिए।
बीसीसीआई और आईपीएल में भाजपा कनेक्शन
न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा के अनुसार महाराष्ट्र में भाजपा के नेता आशीष शेलार बोर्ड के नए कोषाध्यक्ष होंगे। जबकि सोमवार तक उनके मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की तैयार कर रखी थी। लेकिन मंगलवार को अचानक खेल बदल गया और अब वह बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुने जा सकते हैं। इसी तरह अब आईपीएल चेयरमैन की कमान खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण सिंह धूमल संभाल सकते है। वह बृजेश पटेल की जगह लेंगे।
बीसीसीआई सूत्रों के अनुसार सौरव को आईपीएल के चेयरमैन पद की पेशकश की गई थी लेकिन उन्होंने बड़ी शालीनता से इसे नामंजूर कर दिया। उनका तर्क था बीसीसीआई अध्यक्ष बने रहने के बाद वह उसकी उप समिति का प्रमुख नहीं बन सकते। इसके अलावा बीसीसीआई सूत्रों ने पीटीआई को बताया है कि केंद्र सरकार में शामिल एक प्रभावशाली मंत्री ने बोर्ड के पदाधिकारियों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कर्नाटक से आने वाले कौन हैं रोजर बिन्नी
1983 की विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे रोजर बिन्नी ने मंगलवार को बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। अभी तक बिन्नी के अलावा अध्यक्ष पद के लिए किसी और ने नामांकन नहीं किया है। ऐसी खबरें है कि रोजर बिन्नी निर्विरोध चुने जा सकते हैं। और 18 अक्टूबर को मुंबई में बोर्ड की सालाना बैठक में नए अध्यक्ष का ऐलान हो जाएगा।वैसे बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए रोजर बिन्नी का नाम आना काफी चौंकाने वाला है। क्योंकि सौरव गांगुली एक कार्यकाल और चाह रहे थे। लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई। अभी रोजर बिन्नी कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं ।
भाजपा की है सरकार
इस समय कर्नाटक में भाजपा की सरकार है। और अगले साल अप्रैल-मई में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। साल 2018 के चुनाव में भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। लेकिन कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। हालांकि 2019 में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान गठबंधन की सरकार गिर गई थी। और फिर भाजपा की सरकार बनी। अब 2023 में भाजपा की चुनाव में वापसी होगी या फिर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो यात्रा रंग लाएगी, इसका इंतजार है, लेकिन इस बीच सत्ता में वापसी के लिए भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
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