कोलकाता रेप-मर्डर कांड के खिलाफ आक्रोश को मिला सौरव गांगुली का समर्थन, एकजुटता जाहिर करने के लिए उठाया यह कदम
Sourav Ganguly : कोलकाता रेप एवं मर्डर कांड पर दिए गए अपने बयान के बाद आलोचना का शिकार होने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने अपना रुख बदल लिया है। इसके खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शन के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करने के लिए X पर अपनी डीपी बदल ली है।
कोलकाता रेप-मर्डर के खिलाफ लोगों में भारी गुस्सा है।
मुख्य बातें
- कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में नौ अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी
- डॉक्टर का रेप करने के बाद उसकी बेरहमी से हत्या हुई, फिर अस्पताल पर हुआ हमला
- घटना के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन, ममता सरकार की हो रही भारी आलोचना
Sourav Ganguly : कोलकाता रेप एवं मर्डर कांड पर दिए गए अपने बयान के बाद आलोचना का शिकार होने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने अपना रुख बदल लिया है। उन्होंने इस बर्बर रेप एवं मर्डर के खिलाफ और इसके खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शन के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करने के लिए X पर अपनी डीपी बदल ली है। उन्होंने प्रोफाइल पिक्चर की जगह ब्लैक डॉट लगाया है। गांगुली ने कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया।
9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी
दरअसल, गत 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में 31 साल की ट्रेनिंग डॉक्टर से हुए रेप और फिर उसके मर्डर पर गांगुली ने प्रतिक्रिया दी। इस घटना को उन्होंने अत्यंत विभत्स तो बताया ही लेकिन उन्होंने इसे 'स्ट्रे एक्सिडेंट' यानी की 'एकाध घटना' से जोड़ दिया। इस बात के लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर आलोचना होने लगी।
मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया
अपने इस बयान पर सफाई देते हुए सोमवार को गांगुली ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि रविवार को जो मैंने बात कही उसका कैसे गलत मतलब निकाला जा रहा है। मैं पहले भी कह चुका हूं कि यह बहुत भयावह घटना है। जो भी हुआ वह बहुत शर्मनाक है।' गांगुली ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि सीबीआई जो कि मामले की जांच कर रही है, दोषियों को सख्त सजा देगी। सजा ऐसी होनी चाहिए आगे कोई भी इस तरह का अपराध करने का साहस न करे। सजा बहुत ही सख्त होनी चाहिए।'
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
कोलकाता रेप एंड मर्डर कांड को लेकर देश भर में भारी गुस्सा एवं नाराजगी है। डॉक्टर देश भर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और रैलियां निकाल रहे हैं। ममता सरकार भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर है। इस बर्बर घटना की मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। वहीं पश्चिम बंगाल में हो रहे विरोध प्रदर्शनों से निपटने के तरीके को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के भीतर मतभेद सामने आ गए हैं। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘इस घटना से कैसे निपटा जाए, इस पर पार्टी के भीतर मतभेद हैं। कुछ लोगों का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा मामले से निपटने में कोताही बरती गई है, जिससे विरोध प्रदर्शन बढ़ गया। दूसरों का मानना है कि विपक्षी दलों ने इस मुद्दे का इस्तेमाल सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के अवसर के तौर पर किया है।’
टीएमसी में मतभेद उभरे
तृणमूल नेता ने कहा कि नेताओं के बीच मतभेदों से यह धारणा बनी है कि पार्टी इस मुद्दे पर एकजुट नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह चिंता का विषय है कि इस मुद्दे पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो कह रहा है, उसे अन्य नेताओं ने नहीं दोहराया है। इससे न केवल आम जनता, बल्कि पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश जा रहा है।’ घटना के खिलाफ जारी प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ तृणमूल नेता और विधायक मदन मित्रा ने कहा कि जनता का आक्रोश नंदीग्राम और सिंगूर में भूमि अधिग्रहण को लेकर वाम मोर्चा शासन के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शनों की याद दिलाता है। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कथित अपराध के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और घटना की कड़ी निंदा की।
सवाल पूछने पर प्रवक्ता पद गया
राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले सुखेंदु ने इस त्रासदी पर गहरा दुख और गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं पर होने वाली क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने का समय आ गया है। सुखेंदु इस मामले में आलोचना करने वाले अकेले तृणमूल नेता नहीं हैं। पार्टी प्रवक्ता शांतनु सेन को भी प्रवक्ता पद से हाथ धोना पड़ा क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार से पूछा था कि घोष के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
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आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने...और देखें
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