सपा नेता आजम खान की गई विधायकी, यूपी विधानसभा अध्यक्ष ने रद्द की विधानसभा सदस्यता
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान (Azam Khan) की विधायकी चल गई। उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने सपा नेता और रामपुर विधायक आजम खान यूपी विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है। खान ने यूपी विधानसभा चुनाव में रामपुर सदर विधानसभा सीट से रिकॉर्ड 10 वीं बार जीत हासिल की थी। विधायक बनने के बाद, उन्होंने रामपुर से लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
आजम खान की गई विधायकी
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान (Azam Khan) की विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय ने बताया कि सपा नेता और रामपुर विधायक आजम खान यूपी विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है। 2019 के हेट स्पीच मामले में आजम खान को गुरुवार को 3 साल जेल की सजा और 6 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। सपा नेता खान ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रामपुर सदर विधानसभा सीट से रिकॉर्ड 10 वीं बार जीत हासिल की थी। विधायक बनने के बाद, उन्होंने रामपुर से लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
गौर हो कि उत्तर प्रदेश में रामपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने आजम खान को हेट स्पीच देने के मामले में गुरुवार को दोषी करार देते हुए 3 साल जेल की सजा सुनाई थी। मामला जमानती होने के कारण कोर्ट ने फैसला सुनाने के बाद खान को जमानत दे दी थी और फैसले के खिलाफ उच्च अदालतों में अपील करने के लिए वक्त भी दिया है। अदालत के इस फैसले के कारण आजम खान की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर गई।
गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जुलाई 2013 में जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में दो साल से ज्यादा की सजा होती है तो (संसद और विधानसभा से) उनकी सदस्यता अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के दिन से समाप्त हो जाती है। हालांकि, अगर खान उच्च अदालत में इस फैसले के खिलाफ अपील करते हैं और अदालत उनकी दोषसिद्धि को निलंबित कर देती है तो ऐसी स्थिति में उनकी विधानसभा सदस्यता फिर मिल सकती है।
सरकारी वकील अजय तिवारी ने बताया कि हेट स्पीच देने के मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने आजम खान को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 153-क (धार्मिक भावनाएं भड़काना), 505-क (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य बढ़ाना) के तहत दोषी करार देते हुए उन्हें तीन साल कैद और छह हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
गौर हो कि आजम खां पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिलक कोतवाली इलाके के खातानगरिया गांव में जनसभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को भला-बुरा कहने पर हेट स्पीच देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। खान के इस बयान का वीडियो भी वायरल हुआ था। इस मामले में दोनों पक्षों की बहस 21 अक्टूबर को पूरी हो गई थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने सजा सुनाने के लिए 27 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की थी। इस दिन दोषी करार दिया गया और सजा भी सुनाई गई।
सरकारी वकील तिवारी ने बताया कि मानक प्रथा के अनुसार इस आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण आवेदन ऊपरी अदालत में दाखिल करने के लिए 16 दिन का समय दिया जाता है। उन्होंने बताया कि मौजूदा मामले में खान सजा के आदेश के खिलाफ रामपुर जिला सत्र अदालत में तय समय के भीतर अपील दायर कर सकते हैं। तिवारी ने बताया कि चुनाव आयोग या तो किसी की शिकायत पर फैसला कर सकता है या वह अदालत के फैसले पर मामले का स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकता है।
कथित धोखाधड़ी के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद आजम खान को इस साल की शुरुआत में जेल से रिहा किया गया था। वह करीब दो साल तक जेल में रहे। उनपर भ्रष्टाचार और चोरी समेत करीब 90 मामले दर्ज हैं।
फैसले के बाद अदालत से बाहर निकलते हुए खान ने अपनी पहली टिप्पणी में कहा था कि जमानत कानून का अनिवार्य प्रावधान है। उन्होंने मीडिया से कहा था कि मुझे न्यायपालिका पर दृढ़ विश्वास है। साथ ही उन्होंने कहा था कि यह अधिकतम सजा है। इस मामले में जमानत अनिवार्य शर्त है और इस आधार पर मुझे जमानत मिल गई है। मैं इंसाफ का कायल हो गया हूं।
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