सपा के एम-वाई समीकरण का बीजेपी एम-वाई से देगी जवाब, आखिर क्या है यह इक्वेशन

2024 के आम चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी अपने पुराने मुस्लिम यादव समीकरण पर काम कर रही है तो बीजेपी को भी एम -वाई समीकरण पर भरोसा है। यहां बताएंगे कि बीजेपी के लिए एम वाई का मतलब क्या है।

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समाजवादी पार्टी नए साल में अपने एम-वाई (Muslim-Yadav) आधार को मजबूत करने और बीजेपी के एम-वाई (Modi-yogi) को चुनौती देने की कोशिश कर रही है।पिछला एक साल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा है और पार्टी अब 2023 के लिए अपनी रणनीति पर फिर से काम कर रही है।पार्टी अपने संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन और शिवपाल सिंह यादव के साथ तालमेल के बाद 2024 के लोकसभा चुनावों(General elections 2024) में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है। मैनपुरी उपचुनाव के नतीजे के बाद समाजवादी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। चुनाव से पहले जिस तरह से शिवपाल यादव कश्मकश में थे उनके विचार में तब बदलाव आया जब उन्होंने कहा कि नेता जी के सपने को वो तोड़ नहीं सकते हैं। इसके साथ ही अखिलेश यादव को छोटे नेता जी की उपाधि भी दे दी।

सपा का मुस्लिम यादव समीकरण

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी ड्राइंग रूम राजनेता होने के आरोपों का मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं।उन्होंने महाराजगंज जिला जेल में स्थानांतरित किए जाने से एक दिन पहले कानपुर जेल में अपनी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी से मुलाकात की।वह झांसी जेल का दौरा भी करेंगे, जहां एक अन्य सपा विधायक दीपचंद यादव बंद हैं।संकटग्रस्त पार्टी नेताओं से मिलने का अखिलेश का फैसला स्पष्ट रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं को एक सकारात्मक संदेश देने के लिए बनाया गया है।

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