Akhilesh Yadav: 2024 के चुनाव में PM पद की रेस में नहीं अखिलेश यादव!, इशारों में दिया संदेश
यूपी से अब अखिलेश यादव का नाम PM पद के लिए उछाला जाने लगा है हालांकि- सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इशारों-इशारों में इसे लेकर अपनी बात कह दी।
अखिलेश यादव ने इशारों-इशारों में इसे लेकर अपनी बात कह दी
- सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव तीसरी बार निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए
- अखिलेश यादव ने इशारों में कहा कि वो PM पद की रेस में नहीं हैं
- अखिलेश के सामने अब चुनौतियां पहले से भी अधिक होंगी
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव वो BJP को हराने के लिए अपोजिशन में अहम भूमिका निभाना चाहते है, साथ ही उन्होंने इशारों में कहा कि वो PM पद की रेस में नहीं हैं। गौर हो कि समाजवादी पार्टी के दो दिन के सम्मेलन की शुरुआत में ही पार्टी के सीनियर लीडर रविदास मेहरोत्रा ने कहा, 'देश में गैर भाजपा सरकार बने और अखिलेश प्रधानमंत्री पद पर आएं, ऐसी ही मांग पार्टी के और नेताओं ने भी दोहराई।
वहीं इस सारी बातचीत के बीच अखिलेश यादव ने अपना रूख साफ करने को कोशिश की, उन्होंने कहा कि '2024 के चुनाव की लड़ाई बहुत बड़ी लड़ाई है हमारा कोई ऐसा सपना नहीं हैं कि हम उस स्थान (PM पद) पर पहुंचें, लेकिन समाजवादियों का ये सपना जरूर है कि जो समाज में बांटने वाली ताकतें हैं उनको सत्ता से बाहर कैसे निकाला जाए इसपर हमें काम करना है।
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2024 के चुनाव के लिए दलित-पिछड़ा एकता बनाने पर जोरगौर हो कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव तीसरी बार निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं, अक्टूबर 1992 में गठित सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अब तक यादव परिवार का ही कब्जा रहा है।
अखिलेश से पहले मुलायम सिंह यादव ही पार्टी के अध्यक्ष रहे। इसके साथ ही अखिलेश यादव ने बीजेपी को हराने के लिए हर त्याग करने का संकेत दिया,वहीं इस कामयाबी के बाद अखिलेश ने 2024 के चुनाव के लिए दलित-पिछड़ा एकता बनाने पर जोर दिया है।
अखिलेश के सामने अब चुनौतियां पहले से भी अधिक होंगीप्रदेश के हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जोरदार तैयारियों को देखते हुए अखिलेश के सामने अब चुनौतियां पहले से भी अधिक होंगी। उनके सामने आगामी नवम्बर-दिसम्बर में सम्भावित नगर निकाय के चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है।
ऐसे में पार्टी नेतृत्व को पिछली गलतियों से सीख लेते हुए संगठन को नए सिरे से सक्रिय करते हुए उसमें नयी ऊर्जा भरनी होगी।
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