अनुच्छेद 370 पर पीएम मोदी का संदेश: कश्मीर में मोहभंग, निराशा और हताशा की जगह अब विकास, लोकतंत्र और गरिमा ने ली
Article 370: प्रधानमंत्री ने कहा कि वह एक बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं कि जम्मू-कश्मीर के लोग विकास चाहते हैं और अपनी ताकत एवं कौशल के आधार पर भारत के विकास में योगदान देना चाहते हैं।
आर्टिकल 370 पर पीएम मोदी का संदेश
PM Modi on Article 370: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले चार साल में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र में नए सिरे से विश्वास जगा है और मोहभंग, भ्रम व निराशा की जगह विकास, लोकतंत्र और गरिमा ने ले ली है। अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के सरकार के फैसले की वैधता को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखे जाने के बाद मंगलवार को कई अखबारों में प्रकाशित एक लेख में मोदी ने कहा कि कैसे वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में कई दशकों तक इस मुद्दे से जुड़े रहे और इसमें शामिल बारीकियों और जटिलताओं की बारीक समझ विकसित की थी।
जम्मू-कश्मीर के लोग विकास चाहते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह एक बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं कि जम्मू-कश्मीर के लोग विकास चाहते हैं और अपनी ताकत एवं कौशल के आधार पर भारत के विकास में योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस पूर्ववर्ती राज्य के लोग अपने बच्चों के लिए बेहतर जीवन स्तर चाहते हैं जो हिंसा और अनिश्चितताओं से मुक्त हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार नागरिकों की चिंताओं को समझने, कार्यों के माध्यम से विश्वास बनाने और विकास, विकास और अधिक विकास को प्राथमिकता देने के तीन स्तंभों को प्राथमिकता देती है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को मजबूत किया है। उन्होंने याद दिलाया है कि जो हमें परिभाषित करता है वह एकता के बंधन और सुशासन के लिए एक साझा प्रतिबद्धता है।
केंद्रीय कानून अब बिना किसी भय या पक्षपात के लागू
पीएम ने कहा, आज जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में जन्म लेने वाले हर बच्चे को साफ-सुथरा माहौल मिलता है, जिसमें वह जीवंत आकांक्षाओं से भरे अपने भविष्य को साकार कर सकता है। आज लोगों के सपने बीते समय के मोहताज नहीं, बल्कि भविष्य की संभावनाएं हैं। जम्मू और कश्मीर में मोहभंग, निराशा और हताशा की जगह अब विकास, लोकतंत्र और गरिमा ने ले ली है। उन्होंने कहा कि इससे पहले महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और समाज के वंचित तबकों को उनका हक नहीं मिल रहा था जबकि लद्दाख की आकांक्षाओं की अनदेखी की जा रही थी। उन्होंने कहा कि सभी केंद्रीय कानून अब क्षेत्र में बिना किसी भय या पक्षपात के लागू किए जाते हैं।
त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली लागू
पीएम मोदी ने कहा, प्रतिनिधित्व भी पहले से अधिक व्यापक हो गया है। त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली लागू हो गई है, बीडीसी चुनाव हुए हैं, और शरणार्थी समुदाय, जिन्हें लगभग भुला दिया गया था, उन्हें भी विकास का लाभ मिलना शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने फैसले के माध्यम से अदालत ने भारत की संप्रभुता और अखंडता को बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह कहना पूरी तरह से उचित है कि पांच अगस्त 2019 को हुआ निर्णय संवैधानिक एकीकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया था, न कि इसका उद्देश्य विघटन था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को भी भलीभांति माना है कि अनुच्छेद 370 का स्वरूप स्थायी नहीं था।
सात दशकों में हिंसा का रूप दिखा
उन्होंने कहा कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लुभावने परिदृश्य ने पिछले सात दशकों में हिंसा और अस्थिरता के सबसे खराब रूपों को देखा। दुर्भाग्यवश, सदियों तक उपनिवेश बने रहने, विशेषकर आर्थिक और मानसिक रूप से पराधीन रहने के कारण, तब का समाज एक प्रकार से भ्रमित हो गया। अत्यंत बुनियादी विषयों पर स्पष्ट नजरिया अपनाने के बजाय दुविधा की स्थिति बनी रही जिससे और ज्यादा भ्रम उत्पन्न हुआ। अफसोस की बात यह है कि जम्मू-कश्मीर को इस तरह की मानसिकता से व्यापक नुकसान हुआ। उन्होंने कहा, मेरा हमेशा से दृढ़ विश्वास रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हुआ था, वह हमारे राष्ट्र और वहां के लोगों के साथ एक बड़ा विश्वासघात था। मेरी यह भी प्रबल इच्छा थी कि मैं इस कलंक को, लोगों पर हुए इस अन्याय को मिटाने के लिए जो कुछ भी कर सकता हूं, उसे जरूर करूं। मैं हमेशा से जम्मू-कश्मीर के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए काम करना चाहता था।
अनुच्छेद 370 और 35 (ए) बड़ी बाधाएं थीं
उन्होंने कहा कि बहुत बुनियादी शब्दों में कहा जाए तो अनुच्छेद 370 और 35 (ए) बड़ी बाधाएं थीं और इसके परिणामस्वरूप पीड़ित लोग गरीब और वंचित रहे। मोदी ने कहा, अनुच्छेद 370 और 35(ए) के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों को वह अधिकार और विकास कभी नहीं मिल पाया, जो उनके साथी देशवासियों को मिला। इन अनुच्छेदों के कारण, एक ही राष्ट्र के लोगों के बीच दूरियां पैदा हो गईं। इस दूरी के कारण, हमारे देश के कई लोग जो जम्मू-कश्मीर की समस्याओं को हल करने के लिए काम करना चाहते थे, ऐसा करने में असमर्थ थे, भले ही उन लोगों ने वहां के लोगों के दर्द को स्पष्ट रूप से महसूस किया हो।
प्रमुख योजनाओं ने शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया
पीएम ने कहा कि इन दोनों अनुच्छेदों को हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं ने शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया है। मोदी ने कहा कि सरकारी रिक्तियां कभी भ्रष्टाचार और पक्षपात का शिकार होती थीं लेकिन आज उन्हें पारदर्शी और सही प्रक्रिया के तहत भरी गई हैं। उन्होंने कहा, इससे पहले जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की स्थिति पर सवालिया निशान लगा हुआ था। अब, रिकॉर्ड वृद्धि, रिकॉर्ड विकास, पर्यटकों के रिकॉर्ड आगमन के बारे में सुनकर लोगों को सुखद आश्चर्य होता है। वर्ष 2014 में पदभार संभालने के तुरंत बाद घाटी में आई विनाशकारी बाढ़ का जिक्र करते हुए मोदी ने याद किया कि वह स्थिति का आकलन करने के लिए श्रीनगर गए थे और पुनर्वास के लिए विशेष सहायता के रूप में 1,000 करोड़ रुपये की घोषणा की थी, जो संकट के दौरान लोगों का समर्थन करने की उनकी सरकार की प्रतिबद्धता का द्योतक है।
इसलिए दिवाली के दिन वहां रहने का फैसला किया
उन्होंने क्षेत्र में मंत्रियों को बार-बार भेजने के अपने फैसले को रेखांकित करते हुए कहा, उसी साल मैंने जम्मू-कश्मीर में उन लोगों की याद में दिवाली नहीं मनाने का फैसला किया जिन्हें हमने जम्मू-कश्मीर में खो दिया और दिवाली के दिन वहां रहने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि मई 2014 से मार्च 2019 तक 150 से अधिक मंत्रिस्तरीय दौरे हुए। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। 2015 का विशेष पैकेज जम्मू-कश्मीर की विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाड़ी अफशां आशिक का उदाहरण दिया जो 2014 में श्रीनगर में पथराव करने वाले समूह का हिस्सा थीं, लेकिन सही प्रोत्साहन मिलने पर उन्होंने फुटबॉल की ओर रुख किया उन्हें प्रशिक्षण के लिए भेजा गया और उन्होंने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन भी किया।
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