राहुल की नागरिकता पर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को PIL माना जाएगा, दिल्ली HC का फैसला

2019 को स्वामी ने मंत्रालय को एक पत्र लिखा था और ब्रिटिश सरकार के सामने राहुल गांधी के उस स्वैच्छिक खुलासे का जिक्र किया था, जिसमें कहा गया था कि वह (राहुल गांधी) ब्रिटिश नागरिक हैं और वहां का पासपोर्ट रखने के हकदार हैं।

राहुल की नागरिकता पर याचिका

Subramanian Swamy's Petition on Rahul Gandhi Citizenship: दिल्ली हाई कोर्ट ने आज कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता से संबंधित भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को जनहित याचिका माना जाएगा। सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार 16 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट का रुख कर गृह मंत्रालय को यह निर्देश देने की अपील की थी कि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने के अनुरोध संबंधी उनके अभ्यावेदन पर फैसला करे। स्वामी ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में गृह मंत्रालय को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया कि वह लोकसभा में विपक्ष के नेता गांधी के खिलाफ उनके अभ्यावेदन पर स्थिति रिपोर्ट पेश करे।

गृह मंत्रालय को निर्देश देने की मांग

स्वामी ने अपनी याचिका में अदालत से आग्रह किया है कि वह गृह मंत्रालय को उनके अभ्यावेदन पर फैसला लेने का निर्देश दे। मंगलवार को शुरु में अदालत ने स्वामी से पूछा कि इस मामले में उनका कानूनी रूप से क्या अनुमेय अधिकार है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि यदि कोई अधिकार है तो इसे केवल जनहित माना जा सकता है, इससे ज्यादा नहीं। न्यायाधीश ने कहा, श्री स्वामी, मुझे कानूनी रूप से स्वीकार्य कोई ऐसा अनुमेय अधिकार नहीं मिला है, जो इस मामले में लागू होता हो। अदालत में खुद पेश हुए स्वामी ने इस पर कहा कि यदि हाई कोर्ट को लगता है कि इस याचिका पर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की जानी चाहिए, तो न्यायालय को अधिकार है कि वह इसे जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली पीठ के पास भेज दे।

उन्होंने कहा, यह भारत सरकार से जुड़ा मामला है। मैं व्यक्तिगत लाभ के लिए ऐसा नहीं कर रहा हूं। स्वामी ने कहा कि उनकी ओर से गृह मंत्रालय को भेजी गई शिकायत स्वीकार कर ली गई थी और राहुल गांधी से इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा कि हालांकि तब से इस मामले पर कोई प्रगति नहीं हुई है और न ही उन्हें कोई सूचना दी गई है। अदालत ने कहा, इस मामले में अदालत को अधिक से अधिक यह लग सकता है कि इसमें जनहित शामिल हो सकता है, जिसको स्वामी वर्तमान याचिका के जरिए उठाना चाहते हैं। उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर, मामले को जनहित याचिकाओं की सुनवाई करने वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

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