Subrata Roy नहीं रहेः Sahara Group में फंसे लोगों के रुपयों का अब क्या होगा...मिलेगा या डूब जाएगा? जानिए
Subrata Roy Death News: रॉय की मृत्यु के बाद कंपनी की ओर जारी बयान में बताया गया कि सहारा इंडिया परिवार उनकी विरासत को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। संगठन को आगे बढ़ाने में उनके दृष्टिकोण का सम्मान करना जारी रखेगा।
सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय। (फाइल)
Subrata Roy Death News: सहारा समूह के मुखिया सुब्रत रॉय नहीं रहे। मंगलवार (14 नवंबर, 2023) को उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। वह 75 बरस के थे। कंपनी के बयान के मुताबिक, उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद रविवार को उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उच्च रक्तचाप, मधुमेह सहित विभिन्न बीमारियों से लंबे समय से जूझ रहे रॉय की दिल का दौरा पड़ने से रात साढ़े 10 बजे मृत्यु हो गई।
ग्रुप की ओर से आगे बताया गया, ‘‘सहारा इंडिया परिवार बेहद दुख के साथ हमारे सहारा इंडिया परिवार के प्रबंध कार्यकर्ता और अध्यक्ष माननीय ‘सहाराश्री’ सुब्रत रॉय सहारा के निधन की सूचना दे रहा है। उनके निधन से हुई क्षति को संपूर्ण सहारा इंडिया परिवार गहराई से महसूस करेगा। रॉय उन सभी के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति, एक संरक्षक और प्रेरणा के स्रोत थे, जिन्हें उनके साथ काम करने का सौभाग्य मिला।’’
रॉय के निधन के बाद लोगों (खासकर सहारा में रुपए लगाने वाले निवेशकों) के बीच बड़ा और अहम सवाल उठ खड़ा हुआ है कि अब उनके पैसों का क्या होगा, जो उन्होंने सहारा इंडिया में कभी निवेश किए थे...क्या वह मिलेंगे या फिर डूब जाएंगे? कंपनी या फिर सहारा परिवार की ओर से फिलहाल इस बाबत किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं आई है, मगर इस बाबत कंपनी की ओर से अब थोड़ी लेट-लतीफी किए जाने की आशंका है।
ऐसा इसलिए क्योंकि सहारा समूह हमेशा से कहता आया है कि यह ‘‘दोहरा भुगतान’’ (डबल पेमेंट) है क्योंकि वह पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को रकम सीधे वापस कर चुका है। वैसे, इस मामले में इससे पहले करीब 10 करोड़ जमाकर्ताओं की मदद के लिए केंद्र सरकार ने सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च किया था। यूनियन कॉपरेशन मिनिस्टर अमित शाह ने तब कहा था कि ऐसे लोग 45 दिन में अपना पैसा क्लेम कर सकेंगे। चूंकि, सरकार भी पैसे दिलाने के लिए पहल कर चुकी है, लिहाजा मिलने के भी आसार हैं।
दरअसल, रॉय ने खुदरा, रियल एस्टेट और वित्तीय सेवा क्षेत्रों में एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य खड़ा किया। हालांकि, वह बड़े विवाद के केंद्र में भी रहे। उन्हें अपने समूह की कंपनियों के संबंध में कई नियामक और कानूनी लड़ाइयों का सामना भी करना पड़ा, जिन पर बहु-स्तरीय विपणन योजनाएं बनाने के लिए नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया था।
सेबी ने साल 2011 में सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था। नियामक ने फैसला दिया था कि दोनों कंपनियों ने उसके नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके धन जुटाया था।
उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा था, जिसमें दोनों कंपनियों को निवेशकों से लिए गए धन को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने के लिए कहा गया था। अंततः सहारा को निवेशकों को रिफंड के लिए सेबी के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा गया था।
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