सेक्स के लिए पत्नी अगर मना करती है तो क्या पति को तलाक ले लेना चाहिए? मैरिटल रेप पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा

Supreme Court Hearing on Marital Rape : प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ताओं से उस दलील पर जवाब मांगा जिसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने से वैवाहिक संबंध गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।

वैवाहिक बलात्कार पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।

मुख्य बातें
  • वैवाहिक बलात्कार (मैरिटल रेप) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है
  • मैरिटल रेप को अपवाद बताने वाली धारा का विरोध कर रहे याचिकाकर्ता
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की दलील पर याचिकाकर्ताओं से जवाब मांगा

Supreme Court Hearing on Marital Rape : वैवाहिक बलात्कार (मैरिटल रेप) को अपराध घोषित करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई शुरू की। अपनी अर्जियों में याचिकाकर्ता भारतीय न्याय संहिता (BNS) में दिए गए उस अपवाद को चुनौती दे रहे हैं, जो पतियों पर रेप का अभियोग लगाने से रोकता है। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि पत्नी के साथ जबरन सेक्स नहीं किया जा सकता, उसे 'ना' कहने का अधिकार है। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत से सवाल उठाया कि क्या वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने से शादी जैसे पवित्र बंधन कमजोर नहीं होगा?

केंद्र सरकार की दलील पर जवाब मांगा

बीएनएस की धारा 63 के अपवाद 2 को चुनौती देते हुए याचिकार्ताओं ने दलील दी कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करना भारत में 'लोग बनाम पितृसत्ता' को दर्शाता है। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ताओं से उस दलील पर जवाब मांगा जिसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने से वैवाहिक संबंध गंभीर रूप से प्रभावित होंगे और यह विवाह की संस्था में गड़बड़ी पैदा कर सकता है।

पवाद कहना असंवैधानिक -नंदी

इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि केंद्र की इस दलील पर आप क्या कहेंगे? याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने कहा, 'अभी खुशी-खुशी और बिना किसी दबाव के हां कहने का मेरा अधिकार ना कहने के अधिकार के बराबर है।' नंदी ने दलील दी कि बलात्कार पहले से ही एक अपराध है लेकिन मौजूदा कानून मैरिटल रेप के दायरे से पति को बाहर करता है, इसे अपवाद कहना असंवैधानिक है।

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