VVPAT की 100 फीसदी पर्चियों की मिलान की मांग वाली याचिका पर SC का फैसला सुरक्षित
Supreme Court on VVPAT: वीवीपीएटी की 100 फीसदी पर्चियों की मिलान की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित, जानिए किसने क्या कहा?
याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित
Supreme Court on VVPAT: सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम और वीवीपीएटी की 100 फीसदी पर्चियों के मिलान की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा। सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग का पक्ष सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।सुप्रीम के जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई पूरी की।
19 अप्रैल को देश के कई हिस्सों में लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण को लेकर मतदान होना है। इससे ठीक एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर काफी लंबी सुनवाई की। सुनवाई के दौरान केंद्रीय चुनाव आयोग के तरफ से एक अधिकारी ने ईवीएम और वीवीपीएटी की कार्यशैली, इसकी तकनीकी पहलुओं पर सुप्रीम कोर्ट के सामने विस्तृत जानकारी दी।
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चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी। उसके मुताबिक चुनाव आयोग के अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि ईवीएम प्रणाली में तीन यूनिट होते हैं, बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और तीसरा वीवीपीएटी। बैलेट यूनिट सिंबल को दबाने के लिए है, कंट्रोल यूनिट डेटा इकट्ठा करता है और वीवीपीएटी सत्यापन के लिए है।
चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि कंट्रोल यूनिट VVPAT को प्रिंट करने का आदेश देती है। यह मतदाता को सात सेकंड तक दिखाई देता है और फिर यह वीवीपीएटी के सीलबंद बॉक्स में गिर जाता है। प्रत्येक कंट्रोल यूनिट में 4 MB की मेमोरी होती है। मतदान से 4 दिन पहले कमीशनिंग प्रक्रिया होती है और सभी उम्मीदवारों की मौजूदगी में प्रक्रिया की जाँच की जाती है और वहां इंजीनियर भी मौजूद होते हैं।
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इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या ईवीएम की प्रोग्राम मेमोरी में कोई छेड़छाड़ हो सकती है? इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता यह एक फर्मवेयर है और सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है। इसे बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता है। पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम में जाती हैं और राजनीतिक दलों की मौजूदगी में लॉक किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप ईवीएम को जब भेजते हैं तो क्या उम्मीदवारों को टेस्ट चेक करने की अनुमति होती है?
चुनाव आयोग ने बताया कि मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखने से पहले मॉक पोल आयोजित किया जाता है.. उम्मीदवारों को रैंडम मशीनें लेने और जांच करने के लिए पोल करने की अनुमति होती है। फिर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि एक मिनट में कितने वोट डाले जा सकते हैं? इसके जवाब में चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि अमूमन एक वोट के लिए 15 सेकंड लगते हैं इसलिए अधिकतम 4 वोट एक मिनट मे डाले जा सकते है। फिलहाल ये संख्या 4 से कम है। हमारे पास हर एक जिले में EVM प्रदर्शन केंद्र भी है और कोई भी आकर मशीन के बारे में जानकारी ले सकता है।
पर्चियों के मिलान में गड़बड़ी के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या बैलेट यूनिट में स्टोरेज डेटा और VVPAT पर्चियों के बीच कोई मिसमैच का मामला है? इस पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया कि अभीतक हमने 4 करोड से ज्यादा VVPAT की काउ़टिंग की है अबतक एक भी मिसमैच नहीं मिला है।
चुनाव आयोग और केंद्र सरकार ने याचिकाओं को राजनीति से प्रेरित बताया
चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इसी तरह की मांग को लेकर याचिकाएं देशभर के हाईकोर्ट में दाखिल की गई और सभी याचिकाएं हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। चुनाव आयोग के वकील ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ताओं का आधार गलत जानकारी पर आधारित है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से मांग कि EVM मुद्दे को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले याचिकाकर्ताओं की याचिका जुर्माने के साथ खारिज की जानी चाहिए।
ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता को लेकर आयोग ने दलील दी कि ये एक स्वतंत्र मशीन है। इससे हैक या छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता। वीवीपैट को फिर से डिजाइन करने की कोई जरूरत नहीं है। मैन्युअल गिनती में मानवीय भूल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन मौजूदा सिस्टम में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गई है। इसके अलावा जहां पर भी गड़बड़ी थी, वहां मॉक रन का डेटा नहीं हटाया गया। इसका ध्यान रखा गया है। और सिर्फ एक जगह इस तरह की समस्या आई।
हर चीज पर संदेह ठीक नहीं: जस्टिस संजीव खन्ना
जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से कहा कि आप अपनी मांग को लेकर बहुत आगे जा रहे हैं। हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता। अगर चुनाव आयोग ने कुछ अच्छा किया है तो आप उसकी भी सराहना करें। हमने आपकी बात सुनी क्योंकि हम भी चिंतित हैं
इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने सफाई देते हुए कहा कि हम कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं। सुबह जो शिकायत की थी वो चुनाव एजेंट द्वारा की गई है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मतगणना के बाद, ईवीएम को उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों के सामने सील किया जाना चाहिए। यदि ईवीएम मशीन 45 दिनों तक सुरक्षित रखी जाती है, तो व्यक्ति चुनाव याचिका दायर कर सकता है।
लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने के लिए दाखिल हुई हैं याचिकाएं
भारत सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनावों से ठीक पहले ऐसी याचिकाएं दाखिल की जाती हैं और ईवीएम को लेकर सवाल खड़े किए जाते हैं। इसका असर मतदान पर पड़ता है, लोकतंत्र को नुकसान पहुंचता है। सुनवाई के दौरान पक्ष रखते हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता मतदाताओ की पसंद और भरोसे को मजाक बना रहे हैं।
पर्चियों की मिलान की मांग, समय की जरूरत: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि डिजिटल डेटा में हेरफेर किया जा सकता है। कागज़ की पर्चियों में हेरफेर नहीं किया जा सकता। दोनों की समान रूप से गणना की जानी चाहिए। निष्कर्ष के बाद, दोनों का मिलान किया जाए। विसंगति आने पर कागज़ की पर्चियों को ही मान्य किया जाना चाहिए। 100% मिलान समय की मांग है।
एक और याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि हम चुनाव आयोग के खिलाफ आरोप नहीं लगा रहे हैं। हम जो उजागर कर रहे हैं वह यह है कि हमें संदेह है, और ऐसे संदेह के कारण भी हैं। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग के वकील कहते हैं कि केवल एक ही बार गड़बड़ी हुई है, जिस पर हमने ध्यान दिलाया है। जबकि चुनाव आयोग के प्रतिनिधि ऐसा नहीं कहते। आयोग ये स्वीकार कर रहा हैं कि मानवीय त्रुटियाँ हैं।
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