सुप्रीम कोर्ट ने दिया न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को रिहा करने का निर्देश, UAPA में हुए थे गिरफ्तार
सुप्रीम कोर्ट ने न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को रिहा करने का निर्देश दिया है। वह यूएपीए के तहत गिरफ्तार हुए थे।
प्रबीर पुरकायस्थ
Prabir Purkayastha: गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत जेल में बंद न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने पुरकायस्थ की रिहाई का आदेश दिया है। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने ये फैसला सुनाया। पुरकायस्थ पर राष्ट्र विरोधी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए चीनी फंडिंग का आरोप लगा था। यूएपीए के तहत अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए पुरकायस्थ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी और उसके बाद उनकी रिमांड के आदेश को कानून की नजर में अमान्य घोषित किया जाता है।
लगे थे ये आरोप समाचार पोर्टल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, 'न्यूजक्लिक' को कथित तौर पर भारत की संप्रभुता को बाधित करने और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए चीन से धन मिला था। प्राथमिकी में यह भी आरोप है कि पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया में व्यवधान पहुंचाने के लिए 'पीपल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म' (पीएडीएस) नामक समूह के साथ साजिश रची थी।
दिल्ली पर उठाए सवाल सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तारी के बाद उनके वकील को सूचित किए बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में जल्दबाजी के लिए दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए थे। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि पुरकायस्थ के वकील को रिमांड आवेदन दिए जाने से पहले ही रिमांड आदेश पारित कर दिया गया था।
जारी किया था नोटिस पिछले साल अक्टूबर में जस्टिस गवई की अगुवाई वाली पीठ ने पुलिस रिमांड का आधार नहीं बताने पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक कार्यालय और समाचार पोर्टल के संपादकों और पत्रकारों के आवासों सहित कई छापे के बाद पिछले साल 3 अक्टूबर को पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया था। पोर्टल के माध्यम से राष्ट्र-विरोधी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए कथित चीनी फंडिंग के मामले में पुरकायस्थ को गिरफ्तार किया गया था।
यह तर्क दिया गया कि गिरफ्तारियां पंकज बंसल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन थीं। पंकज बंसल केस में कहा गया था कि पुलिस के लिए गिरफ्तारी के समय आरोपी को गिरफ्तारी का लिखित आधार बताना जरूरी है।
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