Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 11 दोषियों की रिहाई रद्द, फिर जाएंगे जेल

Bilkis Bano Case : रिहाई का विरोध करते हुए बिलकिस बानो के वकील ने कहा था कि वो सदमे से उबर भी नहीं पाई हैं और दोषियों को रिहा कर दिया गया। हालांकि दोषियों की समय से पहले रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम सजा में छूट की अवधारणा के खिलाफ नहीं हैं।

Bilkis bano

बिलसिक बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला।

Bilkis Bano Case : बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए दोषियों की रिहाई को रद्द कर दिया। अदालत के इस फैसले के बाद बिलकिस बानो के सभी 11 दोषी अब जेल जाएंगे। बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि वह राज्य जहां पर दोषी के खिलाफ मुकदमा चला है और उसे सजा हुई है, वह प्रदेश दोषियों की अर्जी पर छूट के बारे में फैसला लेने में सक्षम है लेकिन सजा में छूट के बारे में रिहाई का फैसला गुजरात सरकार नहीं ले सकती।

दो सप्ताह में जेल को रिपोर्ट करें दोषी-SC

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उसका यह कर्तव्य है कि वह अनुचित फैसलों को जल्द से जल्द ठीक करे और न्याय व्यवस्था में लोगों का भरोसा कायम रखे। शीर्ष अदालत ने सभी 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने के लिए कहा है।

रिहाई पर फैसला महाराष्ट्र सरकार ले-कोर्ट

रिहाई का विरोध करते हुए बिलकिस बानो के वकील ने कहा था कि वो सदमे से उबर भी नहीं पाई हैं और दोषियों को रिहा कर दिया गया। हालांकि दोषियों की समय से पहले रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम सजा में छूट की अवधारणा के खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि कानून में इसे अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है। लेकिन ये स्पष्ट किया जाना चाहिए कि ये दोषी कैसे माफी के योग्य बने। कोर्ट ने कहा कि दोषियों की सजा में छूट के मसले पर फैसला महाराष्ट्र सरकार ले सकती है न कि गुजरात सरकार।

2002 में बिलकिस के साथ गैंगरेप हुआ

2002 के गुजरात के सांप्रदायिक दंगों के समय बिलकिस बानो की उम्र 21 साल थी। वह पांच महीने की गर्भवती थी। दंगों के समय उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। उसकी तीन वर्षीय बेटी परिवार के उन सात सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई थी। पिछले साल 15 अगस्त को सभी 11 दोषियों को सजा में छूट दिए जाने और रिहा किए जाने के तुरंत बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनेताओं ने शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की थीं। बिलकिस ने नवंबर में शीर्ष अदालत का रुख किया था।
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