नए जजों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, लॉ सेकेट्ररी को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में लेटलतीफी के लिए सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से नाराजगी जाहिर की है।

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जजों की नियुक्ति के सिलिसले में सुप्रीम कोर्ट खफा

देश के कई राज्यों के हाईकोर्ट और साथ ही सुप्रीम कोर्ट(Supreme court highcourt) में नए जज की नियुक्ति(judges appointment) पर केंद्र सरकार द्वारा की जा रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की ओर से भेजे गए नाम पर केंद्र सरकार फैसला लेती है। शुक्रवार को जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए न सिर्फ तल्ख टिप्पणी की है बल्कि केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट के आदेश मेंसुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात पर संज्ञान लिया है कि 5 हफ्ते से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी सुझाए गए नामों पर फैसला लेने में देरी हो रही है। बार एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि जजों के पद खाली होने से भी 6 महीने पहले भी नामों के सुझाव भेजने के बाद भी सरकार की तरफ से कोई फैसला नहीं लिया जा रहा है।सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह से नामों को रोका नहीं जा सकता है। जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिशों को लंबे समय तक लटकाए रखने की कोई वजह नज़र नहीं आती है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की देरी के चलते कई बार अच्छे लोग ख़ुद भी अपना नाम वापस ले लेते हैं, जिससे न्यायपालिका का नुकसान होता है। कोर्ट ने इस बारे में केन्द्रीय विधि सचिव को नोटिस जारी कर 28 नवंबर तक सफाई मांगी है।

याचिका में भारत सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग

इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट एसोशिएशन बंगलोर की ओर से दायर याचिका में कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार की ओर से फैसला न लेने पर सवाल खड़ा किया गया था। ये मामला जब जस्टिस सजंय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लगा तो याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि कॉलेजियम की ओर से जस्टिस दीपांकर दत्ता के नाम की सिफारिश भेजे हुए पांच हफ्ते से ज़्यादा का समय बीत चुका है पर अभी तक सरकार ने उस सिफारिश पर कोई फैसला नहीं लिया है। ऐसे में सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू होनी चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस तो जारी नहीं किया, पर विधि मंत्रालय के विधि सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

केंद्र सरकार की देरी के चलते हो रहा न्यायपालिका को नुकसान

कोर्ट ने कहा कि अभी केंद्र सरकार के पास कॉलेजियम की तरफ से भेजे गए 11 नामों सिफारिश लंबित है। जिसमें से 10 नाम ऐसे भी हैं जिनको सरकार ने दोबारा विचार के लिए भेजा था। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से फैसला लेने में देरी की वजह से वो वकील जिनके नाम की सिफारिश कॉलेजियम ने जज के तौर पर नियुक्ति आगे बढ़ाया होता है वो वकील ख़ुद ही अपना नाम वापस ले लेते हैं। और इसका नुकसान न्यायपालिका को होता है, जो उनके अनुभव से वंचित रह जाती है। हम केन्द्रीय विधि सचिव को नोटिस जारी कर रहे हैं।

(गौरव श्रीवास्तव की रिपोर्ट)

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