मथुरा मंदिर-मस्जिद विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, सभी मुकदमों की एक साथ सुनवाई के मुद्दे पर हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए?

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद के 13.37 एकड़ जमीन को लेकर विवाद है। करीब 11 एकड़ जमीन पर मंदिर है और 2.37 एकड़ जमीन पर मस्जिद है।

सुप्रीम कोर्ट

Krishna Janmabhoomi-Shahi Eidgah dispute: सुप्रीम कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ने और उन्हें एक साथ सुनने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने में अनिच्छा जताई है। अदालत ने कहा कि मथुरा मंदिर-मस्जिद विवाद पर कई याचिकाओं को नत्थी किए जाने के खिलाफ अपील पर बाद में भी सुनवाई की जा सकती है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 1 अप्रैल को अगली सुनवाई करेगा। सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से पूछा कि सभी मुकदमों की एक साथ सुनवाई के मुद्दे पर हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए?

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने प्रथम दृष्टया सभी वादों के समेकन संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले के पक्ष में निर्णय लिया और कहा कि इससे दोनों पक्षों को फायदा होगा। पिछले वर्ष 11 जनवरी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामलों को समेकित करने का निर्देश दिया था। शुक्रवार को सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्च की पीठ ने कहा कि वह आराधना स्थलों पर 1991 के कानून से संबंधित मुद्दे पर विचार कर रही है और जानना चाहा कि उसे इस समय वादों के समेकन के मामले में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश ने मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा, अगर जरूरत लगे तो आप बाद में भी यह याचिका ला सकते हैं। इससे संबंधित एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में शीर्ष अदालत ने 12 दिसंबर को अगले आदेश तक देश की अदालतों को धार्मिक स्थलों, विशेषकर मस्जिदों और दरगाहों पर दावा करने संबंधी नए मुकदमों पर विचार करने और लंबित मामलों में कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने पर रोक लगा दी थी।

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