हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अदालत ने कॉलेज के फैसले पर लगाई अंतरिम रोक; जानें सारा विवाद
Court News: कॉलेज में हिजाब, बुर्के और नकाब पहनने पर प्रतिबंध बरकरार रखने के वाले फैसले के खिलाफ देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मुंबई के प्राइवेट कॉलेज में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टॉल, कैप पहनने के मामले में कॉलेज के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है।
हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।
Supreme Court on Hijab Ban: कॉलेज में हिजाब पहनने वाले विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कॉलेज के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस याचिका के जरिए सर्वोच्च अदालत में बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें मुंबई के एक कॉलेज परिसर में ‘हिजाब’, ‘बुर्का’ और ‘नकाब’ पहनने पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय को बरकरार रखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कॉलेज के फैसले पर अंतरिम रोक
मुंबई के प्राइवेट कॉलेज में हिजाब,नकाब, बुर्का, स्टॉल और टोपी (कैप) पहनने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कॉलेज के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। इससे पहले सीजेआई ने बृहस्पतिवार को कहा था कि मैंने इसे पहले ही सूचीबद्ध कर दिया है। शुक्रवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया।
मामले पर सुप्रीम कोर्ट नवंबर में करेगा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने चेंबूर कॉलेज के उस सर्कुलर पर रोक लगा दी है, जिसके तहत कॉलेज ने कैंपस में छात्राओं के बुर्का, हिजाब, नकाब, स्टोल या टोपी पहनने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज को नोटिस भी जारी किया है और मामले की सुनवाई नवंबर में तय की है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एक वकील की दलीलों पर गौर किया कि परीक्षा शुरू हो गई है और अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं को ‘ड्रेस कोड’ पर निर्देशों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
'छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं'
बंबई उच्च न्यायालय ने ‘चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी’ के एन जी आचार्य एवं डी के मराठे कॉलेज द्वारा हिजाब, बुर्के और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में हस्तक्षेप करने से 26 जून को इनकार कर दिया था और कहा था कि ऐसे नियम छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘ड्रेस कोड’ का उद्देश्य अनुशासन बनाए रखना है, जो कि शैक्षणिक संस्थान की ‘स्थापना और प्रशासन’ के लिए कॉलेज के मौलिक अधिकार का हिस्सा है।
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