मनीष सिसोदिया को राहत नहीं, SC के जज ने सुनवाई से खुद को अलग किया, अर्जी उचित पीठ में लगाने के निर्देश
Manish Sisodia's petition : दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। शीर्ष अदालत के जज जस्टिस संजय कुमार ने सिसोदिया की अर्जी पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।
दिल्ली आबकारी नीति मामले में जेल में बंद हैं सिसोदिया।
- आबकारी नीति मामले में बीते 16 महीने से तिहाड़ जेल में बंद हैं सिसोदिया
- 26 फरवरी 2023 को पूछताछ के बाद सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया
- जमानत रद्द करने के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी है चुनौती
Manish Sisodia's petition : दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। शीर्ष अदालत के जज जस्टिस संजय कुमार ने गुरुवार को सिसोदिया की अर्जी पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। दरअसल, सिसोदिया की जमानत अर्जी दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए आप नेता ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी अर्जी पर नए सिरे से सुनवाई करने की मांग की है। अब इस अर्जी पर सुनवाई से जस्टिस संजय कुमार ने खुद को अलग कर लिया है। यही नहीं कोर्ट ने सिसोदिया से अपनी अर्जी अगले सप्ताह उचित पीठ के सामने लगाने का निर्देश दिया है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि वह सिसोदिया की उस नई याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा, जिसमें कथित आबकारी नीति घोटाला मामलों में उनकी जमानत याचिका पर फिर से सुनवाई करने का अनुरोध किया गया है। न्यायालय ने मंगलवार को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से चार जून को इनकार कर दिया था।
सिंघवी हैं सिसोदिया के वकील
सिसोदिया के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि मामलों में जमानत का अनुरोध करने वाली उस याचिका पर फिर से सुनवाई किए जाने की अर्जी दायर की गई है जिसका पहले निस्तारण किया जा चुका है। याचिका में कहा गया है कि जांच एजेंसियों की ओर से पेश कानून अधिकारी ने पीठ को बताया था कि कथित आबकारी नीति घोटाले के मुख्य मामले और इससे जुड़े धनशोधन मामले में आरोप पत्र और अभियोजन की शिकायत तीन जुलाई, 2024 को या उससे पहले दायर की जाएगी।
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16 महीने से जेल में हैं सिसोदिया
सिंघवी ने कहा, ‘मनीष सिसोदिया 16 महीने से जेल में हैं। न्यायालय ने कहा कि मामले की सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए लेकिन यह शुरू ही नहीं हुई है। मैंने विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की, उन्होंने तीन जुलाई के बाद फिर से याचिका दायर करने की छूट दी थी। अदालत ने सूचीबद्ध करने की छूट दी थी।’प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘क्या आपने ई-मेल किया है... मैं इस पर गौर करूंगा।’ न्यायालय ने सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था लेकिन साथ ही कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा भ्रष्टाचार और धनशोधन से जुड़े मामलों में अपनी अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद सिसोदिया जमानत के लिए अपनी याचिकाएं फिर से दायर कर सकते हैं।
कोर्ट ने तुषार मेहता की दलीलों पर गौर किया
अभियोजन शिकायत ईडी के आरोप पत्र के समान होती है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ ने ईडी और सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इन दलीलों पर गौर किया था कि केंद्रीय जांच एजेंसियां तीन जुलाई तक अपनी अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दाखिल करेंगी। ‘आप’ नेता सिसोदिया ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के उस फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
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26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार हुए थे सिसोदिया
इससे पहले, सिसोदिया ने निचली अदालत के 30 अप्रैल के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें अब रद्द कर दी गई दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। सीबीआई ने सिसोदिया को शराब नीति मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था। ईडी ने उन्हें 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था।
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