क्या इलेक्टोरल बॉन्ड पर बदलेगा सुप्रीम फैसला? अदालत में याचिका दायर
Electoral Bond: वकील मैथ्यूज जे. नेदुम्पारा द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया कि इस अदालत ने (योजना के खिलाफ) याचिका पर विचार किया और इस बात पर ध्यान दिए बिना ही कानून और योजना को रद्द कर दिया कि ऐसा करके वह संसद पर अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर
Electoral Bond: इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर इस अदालत के 15 फरवरी के उस फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया है, जिसमें मोदी सरकार की राजनीतिक चंदे की चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया गया था।
वकील मैथ्यूज जे. नेदुम्पारा द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया कि इस अदालत ने (योजना के खिलाफ) याचिका पर विचार किया और इस बात पर ध्यान दिए बिना ही कानून और योजना को रद्द कर दिया कि ऐसा करके वह संसद पर अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य कर रहा है। याचिका में कहा गया कि अदालत ने ऐसे मामले पर अपने विवेक का प्रयोग किया, जो विधायी और कार्यकारी नीति के विशिष्ट क्षेत्र में आता है।
संविधान पीट ने रद्ध की थी योजना
नेदुम्पारा ने अपनी याचिका में दावा किया कि न्यायालय इस बात पर ध्यान देने में विफल रहा कि जनता की राय इस मामले में अलग-अलग हो सकती है और इस देश के अधिकांश लोग संभवतः इस योजना के समर्थन में हो सकते हैं, जिसे उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा अस्तित्व में लाया गया है। बता दें, प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 2018 की चुनावी बॉण्ड योजना को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना के अधिकार के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करार देते हुए इसे रद्द कर दिया था।
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