सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक को जम्मू कोर्ट में पेश करने से किया इनकार; तिहाड़ जेल वर्चुअली होगी पेशी

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक को आदेश दिया कि वह तिहाड़ जेल से जम्मू की एक विशेष अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उनके खिलाफ मामलों में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करें।

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सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक को तिहाड़ से जम्मू की अदालत में वर्चुअली पेश होने का दिया निर्देश

Yasin Malik: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अलगाववादी नेता यासीन मलिक को आदेश दिया कि वह तिहाड़ जेल से जम्मू की एक विशेष अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उनके खिलाफ मामलों में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करें। जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने चार भारतीय वायु सेना अधिकारियों की हत्या और 1989 में रुबैया सईद के अपहरण से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए मलिक को जम्मू की एक अदालत में पेश करने से इनकार कर दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि दिसंबर 2025 में केंद्र सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 303 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक आदेश पारित कर मलिक की दिल्ली से एक साल के लिए आवाजाही पर रोक लगा दी थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि जम्मू -कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल और तिहाड़ जेल अधीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार, यहां की ट्रायल कोर्ट और तिहाड़ जेल दोनों में वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है मलिक की शारीरिक पेशी को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं थीं।

यासीन मलिक पर रुबैया सईद के अपहरण का चल रहा मुकदमा

शीर्ष अदालत केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मलिक और अन्य के खिलाफ 1989 के रुबैया सईद अपहरण और 1990 के श्रीनगर गोलीबारी मामलों में जम्मू से नई दिल्ली में मुकदमे स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान, तिहाड़ जेल में बंद मलिक वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीठ के सामने पेश हुए और कहा कि वह आतंकवादी नहीं हैं और केवल एक राजनीतिक नेता हैं। इस पर न्यायमूर्ति ओका ने जवाब दिया कि शीर्ष अदालत मामले की योग्यता पर फैसला नहीं कर रही है और केवल इस मुद्दे पर विचार कर रही है कि क्या उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाहों से जिरह करने की अनुमति दी जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि हम इस मुद्दे पर फैसला नहीं कर रहे हैं कि आप आतंकवादी हैं या राजनीतिक नेता। एकमात्र मुद्दा यह है कि क्या आपको वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाहों से जिरह करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को जम्मू में एक विशेष अदालत में उचित वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था, जहां मलिक का मुकदमा चलेगा। सीबीआई ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, जम्मू (टाडा/पोटा) द्वारा 20 सितंबर और 21 सितंबर, 2024 को दो अलग-अलग मामलों में मलिक के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी करने के आदेश को भी चुनौती दी थी। जम्मू की एक अदालत ने 1989 में चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या और मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण के संबंध में गवाहों से जिरह के लिए मलिक की शारीरिक उपस्थिति की मांग की थी।

शीर्ष अदालत ने जम्मू की अदालत के आदेश पर लगाई थी रोक

शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2023 में जम्मू की अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी । इसने पहले दो मामलों में आतंकवादी दोषी मलिक के खिलाफ मुकदमे चलाने के लिए जेल में एक अस्थायी अदालत कक्ष स्थापित करने के विचार की खोज करने का सुझाव दिया था और टिप्पणी की थी कि अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिया गया था। जम्मू की अदालत 1989 के रुबैया सईद अपहरण और 1990 के श्रीनगर गोलीबारी मामलों की सुनवाई कर रही है, जिसमें जेल में बंद जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और अन्य शामिल हैं। मई 2023 में एक विशेष एनआईए अदालत द्वारा आतंकवाद-वित्तपोषण मामले में सजा सुनाए जाने के बाद से वह तिहाड़ जेल में बंद है।

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Shashank Shekhar Mishra author

शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

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