जोशीमठ मामले में तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, की बड़ी टिप्पणी

जोशीमठ मामले में तत्काल सुनवाई के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अर्जी लगाई थी। अदालत ने कहा कि हर जरूरी चीज सीधे न्यायालय की दहलीज पर आए यह सही नहीं होगा।

उत्तराखंड का एक पूरा कस्बा जोशीमठ धंस रहा है। हाड़ कंपाती ठंड में वहां के वाशिंदे अपने घरों को एक तरफ देखते हैं तो दूसरी तरफ आस सरकारी मदद पर है। सरकार अपनी रफ्तार से मदद करने के साथ भरोसा दे रही है नुकसान नहीं होने देंगे। इन सबके बीच मामला देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंता। अदालत ने मामले को सुना और बड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर जरूरी चीज को हमारे पास लाने की जरूरत नहीं है, और भी संस्थाएं हैं जिनके दरवाजे को खटखटाना चाहिए। इस टिप्पणी के साथ अदालत ने तत्काल सुनवाई करने से इनकार किया। बता दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से याचिका दायर की गई थी। अदालत ने कहा कि हर जरूरी चीज सीधे अदालत की दहलीज पर आए यह जरूरी नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 16 जनवरी की तारीख मुकर्रर कर दी।

औद्योगिकीकरण का असर, याचिका में दावा

याचिकाकर्ता सरस्वती ने दावा किया है कि यह घटना बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुई है और उन्होंने उत्तराखंड के लोगों के लिए तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजे की मांग की है।याचिका में इस चुनौतीपूर्ण समय में जोशीमठ के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की जरूरत नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी होता है, तो उसे युद्ध स्तर पर तत्काल रोकना राज्य और केंद्र सरकार का दायित्व है।

जोशीमठ में धंस रही है जमीन

बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली का प्रवेश द्वार कहलाने वाला जोशीमठ जमीन धंसने के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।जोशीमठ में जमीन धीरे-धीरे धंस रही है और घरों, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि कई घर धंस गए हैं।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोखिम वाले घरों में रह रहे 600 परिवारों को तत्काल वहां से हटा कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का आदेश दिया है।

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ललित राय author

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