नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की याचिका SC ने की खारिज, कहा- नहीं कर सकते हस्तक्षेप
नए संसद भवन उद्घाटन पर याचिका SC ने की खारिज
New Parliamen House: नए संसद भवन का उदघाटन राष्ट्रपति से कराए जाने संबंधी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। अनुच्छेद-32 के तहत इसमें दखल नहीं दे सकते हैं। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।
जानिए क्या कहा अदालत ने
सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा सचिवालय को नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता एवं वकील जय सुकीन से कहा कि अदालत इस बात को समझती है कि यह याचिका क्यों और कैसे दायर की गई और वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका की सुनवाई नहीं करना चाहता।
सुकीन ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 79 के तहत राष्ट्रपति देश की कार्यपालिका की प्रमुख हैं और उन्हें आमंत्रित किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यदि न्यायालय सुनवाई नहीं करना चाहता, तो उन्हें याचिका को वापस लेने की अनुमति दी जाए। केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यदि याचिका को वापस लेने की अनुमति दी जाती है, तो उसे हाई कोर्ट में दायर किया जाएगा। इसके बाद पीठ ने याचिका को वापस ले ली गई मानकर खारिज कर दिया।
याचिका में कहा गया था कि प्रतिवादी--लोकसभा सचिवालय और भारत संघ--उन्हें (राष्ट्रपति को) उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं कर राष्ट्रपति को अपमानित कर रहे हैं। यह याचिका, 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए जाने के कार्यक्रम को लेकर छिड़े एक विवाद के बीच दायर की गई। करीब 20 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को दरकिनार किए जाने के विरोध में समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
बुधवार को 19 राजनीतिक दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा था कि जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से बाहर निकाल दिया गया है, तब हमें एक नये भवन का कोई महत्व नजर नहीं आता। वहीं, भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने इस तिरस्कारपूर्ण फैसले की निंदा की। सत्तारूढ़ राजग में शामिल दलों ने बुधवार को एक बयान में कहा था कि यह कृत्य केवल अपमानजनक नहीं, बल्कि महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान है।
उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों कराने की मांग
संसद की इस नई इमारत का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों कराने के लिए शीर्ष अदालत में गुरुवार को एक जनहित याचिका (PIL) दायर हुई थी। इस जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वह संसद की नई इमारत का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों कराने के लिए सरकार को निर्देश जारी करे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को बनकर तैयार हुई संसद की नई इमारत का उद्घाटन करने वाले हैं। विपक्ष चाहता है कि नई इमारत का उद्घाटन पीएम नहीं बल्कि राष्ट्रपति करें। अपनी मांग को लेकर विपक्ष लामबंद है। कांग्रेस सहित विपक्ष के 20 दलों ने कहा है कि वे इस समारोह में शामिल नहीं होंगे।
नई इमारत के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने पर विपक्ष भाजपा नेताओं के निशाने पर है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है। खरगे ने कहा कि मोदी जी, संसद जनता द्वारा स्थापित लोकतंत्र का मंदिर है। राष्ट्रपति का पद संसद का प्रथम अंग है। आपकी सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ भारतीय जानना चाहते हैं कि भारत के राष्ट्रपति से संसद भवन के उद्घाटन का हक छीनकर आप क्या जताना चाहते हैं?
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