बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, ऐसा लगता है कि वे सुनवाई नहीं चाहते

Bilkis Bani Case: बिलकिस बानो ने रिहा किए गए लोगों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान जब अदालत के सामने रिहा हुए लोगों के वकील पेश नहीं हुए तो सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की।

बिलकिस बानो मामला अब सुप्रीम कोर्ट में

Bilkis Bani Case: बिलकिस बानो केस में अगली सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 9 मई को होनी है। लेकिन उससे पहले की सुनवाई में दोषमुक्त लोगों की अपील पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई। दरअसल अदालत के सामने दोषमुक्त लोगों के वकीलों को जिरह में पेश होना था। लेकिन कागजात तैयार करने का हवाला दे पेश नहीं हुए। दोषियों की ओर से पेश कई वकीलों ने बानो की याचिका पर नोटिस तामील नहीं किए जाने पर आपत्ति जताई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है बल्कि स्पष्ट से अधिक है, कि आप सभी नहीं चाहते हैं कि इस पीठ द्वारा सुनवाई की जाए। केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से अदालत में पेश सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने जस्टिस के एम जोसेफ और बी वी नागरत्ना की पीठ को बताया कि वे किसी विशेषाधिकार का दावा नहीं कर रहे हैं और समीक्षा के लिए कोई याचिका दायर नहीं कर रहे हैं। अदालत के 27 मार्च के आदेश में, दोषियों को दी गई छूट के संबंध में मूल रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

तुषार मेहता ने बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिकाओं के अलावा अन्य मामलों में दायर याचिकाओं के संबंध में प्रारंभिक आपत्तियां उठाईं और कहा कि इसका व्यापक असर होगा क्योंकि कभी-कभी तीसरे पक्ष आपराधिक मामलों में अदालतों का दरवाजा खटखटाएंगे। जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हम केवल समयसीमा तय कर रहे हैं, ताकि जो भी अदालत इस मामले को ले। उसे इन प्रक्रियात्मक मुद्दों पर समय बर्बाद न करना पड़े। वो सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनका अंतिम कार्य दिवस 19 मई होगा। न्यायमूर्ति नागरत्ना 25 मई तक सिंगापुर में एक सम्मेलन में भाग लेने जा रही हैं। यदि आप सभी सहमत हैं तो हम छुट्टी के दौरान बैठ सकते हैं और मामले की सुनवाई पूरी कर सकते हैं।याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और वृंदा ग्रोवर सहित कुछ वकील इस बात पर सहमत हुए कि पीठ गर्मी की छुट्टी के दौरान मामले की सुनवाई कर सकती है। मेहता ने अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले को अवकाश से पहले सूचीबद्ध किया जाए न कि अवकाश के दौरान।मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं है कि वो इस मामले के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे। एक बार जब हम एक मामले के लिए अपवाद बनाते हैं तो उन्हें सभी मामलों के लिए अपवाद बनाना होगा।"एडवोकेट शोभा गुप्ता ने कहा कि इस मामले में बहुत कम समय लगेगा क्योंकि केवल कानून के सवाल पर निर्णय लेने की जरूरत है।

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