बुलडोजर एक्शन पर कल सुप्रीम कोर्ट करेगा बड़ा फैसला, गाइडलाइन होगी तय
सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा ए हिंद समेत कई याचिकाकर्ताओं ने देश भर के अलग-अलग राज्यों में हो रहे बुलडोजर एक्शन के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई
- बुलडोजर एक्शन पर कल यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला
- राज्य सरकारों के द्वारा किए जा रहे बुलडोजर एक्शन पर गाइडलाइन तय होगी
- जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाएगी
Supreme Court on Bulldozer Action: बुलडोजर एक्शन पर कल यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला करेगा और इस संबंध में गाइडलाइन तय होगी। सुप्रीम कोर्ट कल अपने फैसले में देशभर में राज्य सरकारों के द्वारा किए जा रहे बुलडोजर एक्शन पर गाइडलाइन तय करेगा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच सुबह 10:30 बजे अपना फैसला सुनाएगी।
जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका
सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा ए हिंद समेत कई याचिकाकर्ताओं ने देश भर के अलग-अलग राज्यों में हो रहे बुलडोजर एक्शन के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुरक्षित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक जगहों पर अवैध निर्माण पर बुलडोजर एक्शन नहीं रुकेगा...चाहे वो धार्मिक स्थल ही क्यों ना हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी शख्स आरोपी या दोषी है तो यह डिमोलेशन का आधार नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाए जाने पर रोक लगा दी थी।
नागरिकों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता
9 नवंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नागरिकों की आवाज को उनकी संपत्ति नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता और कानून के शासन में बुलडोजर न्याय पूरी तरह अस्वीकार्य है। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि बुलडोजर के जरिए न्याय करना किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता।
पीठ ने कहा था कि राज्य को अवैध अतिक्रमणों या गैरकानूनी रूप से निर्मित संरचनाओं को हटाने के लिए कार्रवाई करने से पहले कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। उसने कहा कि कानून के शासन में बुलडोजर न्याय बिल्कुल अस्वीकार्य है। अगर इसकी अनुमति दी गई तो अनुच्छेद 300ए के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता समाप्त हो जाएगी।
25 लाख रुपये मुआवजे का आदेश
संविधान के अनुच्छेद 300ए में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को कानून के प्राधिकार के बिना उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने 2019 में उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में एक मकान को ध्वस्त करने से संबंधित मामले में छह नवंबर को अपना फैसला सुनाया था। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को अंतरिम उपाय के तौर पर याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता का मकान एक सड़क परियोजना के लिए ढहा दिया गया था।
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