एटीएम कार्ड, जॉइंट अकाउंट, सुप्रीम कोर्ट ने गृहणियों के अधिकारों और विवाहित पुरुष के कर्तव्यों को किया रेखांकित

SC on Homemakers Rights: सुप्रीम कोर्ट ने गृहिणी के अधिकारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे बिना किसी बदले की उम्मीद के परिवार के कल्याण के लिए दिन भर काम करती हैं।

SC Underlines Homemakers Rights

सुप्रीम कोर्ट ने गृहिणी के अधिकारों पर प्रकाश डाला (प्रतीकात्मक फोटो)

मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा-'मेरा मानना है कि एक भारतीय विवाहित पुरुष को इस तथ्य के प्रति सचेत होना चाहिए'
  • 'उसे अपनी पत्नी को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना होगा और उसकी देखभाल करनी होगी'
  • 'क्योंकि उसकी पत्नी के पास आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं है'

SC Underlines Homemakers Rights: सुप्रीम कोर्ट ने गृहिणी के अधिकारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे बिना किसी बदले की उम्मीद के परिवार के कल्याण के लिए दिन भर काम करती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि एक भारतीय विवाहित पुरुष को इस तथ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए कि उसे अपनी पत्नी को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि उसके पास आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं है।

कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा धारा 125 सीआरपीसी के तहत अपनी तलाकशुदा पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण देने के निर्देश के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान की। जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि भरण-पोषण मांगने का कानून सभी महिलाओं के लिए मान्य होगा, चाहे वे किसी भी धर्म की हों।

'क्योंकि उसकी पत्नी के पास आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं है'

अदालत ने कहा, 'मेरा मानना है कि एक भारतीय विवाहित पुरुष को इस तथ्य के प्रति सचेत होना चाहिए कि उसे अपनी पत्नी को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना होगा और उसकी देखभाल करनी होगी, क्योंकि उसकी पत्नी के पास आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं है। इसके लिए उसे विशेष रूप से उसकी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने होंगे। दूसरे शब्दों में, उसे अपने वित्तीय संसाधनों तक पहुंच प्रदान करनी होगी।'

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'इस तरह के वित्तीय सशक्तीकरण से गृहिणी परिवार में अधिक सुरक्षित स्थिति में होगी'

पीठ ने कहा कि इस तरह के वित्तीय सशक्तीकरण से गृहिणी परिवार में अधिक सुरक्षित स्थिति में होगी। अदालत ने कहा, "वे भारतीय विवाहित पुरुष जो इस पहलू के प्रति सचेत हैं और जो अपने जीवनसाथी को घरेलू खर्चों के अलावा, संभवतः संयुक्त बैंक खाता खोलकर या एटीएम कार्ड के माध्यम से अपने व्यक्तिगत खर्चों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराते हैं, उन्हें स्वीकार किया जाना चाहिए।"

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रवि वैश्य author

मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनिया' या कहें 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब...और देखें

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