बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट से भी बरकरार, ये है पूरा मामला
Balwant Singh Rajoana:पंजाब के भूतपूर्व सीएम बेअंत सिंह हत्याकांड में बलवंत सिंह राजोआना को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को बरकरार रखा है।

बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा बरकरार
- 1995 में पंजाब के सीएम रहे बेअंत सिंह की हुई थी हत्या
- बलवंत सिंह राजोआना को स्पेशल कोर्ट ने दी थी फांसी
- सजा के खिलाफ राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी गुहार
पिछले 26 साल से जेल में राजोआना
बलवंत सिंह राजोआना पिछले 26 साल से जेल (balwant singh in punjab jail) में है।शीर्ष अदालत ने दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलीलें सुनने के बाद दो मार्च को राजोआना की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।इससे पहले मुकुल रोहतगी के वकील ने कहा था कि इतने लंबे समय तक दया याचिका पर बैठे रहने के दौरान उन्हें मौत की सजा पर रखना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। उसकी दया याचिका एक दशक से अधिक समय से सरकार के समक्ष लंबित है।शीर्ष अदालत ने पिछले साल 11 अक्टूबर को कहा था कि राजोआना की याचिका पर सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की जाएगी।श्री रोहतगी ने कहा था कि उनके मुवक्किल 26 साल से जेल में थे और शीर्ष अदालत के निर्णयों के आधार पर एक ठोस मामला है कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के अधिकार) के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।
केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने पूछे थे तल्ख सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 28 सितंबर को राजोआना की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की याचिका पर फैसला लेने में केंद्र की विफलता पर असंतोष व्यक्त किया था। रोहतगी ने कहा था कि राजोआना जनवरी 1996 से जेल में है और उसकी दया याचिका मार्च 2012 में दायर की गई थी। उनका मुवक्किल 2007 से मृत्युदंड पर है।राजोआना ने अपनी लंबी कारावास के आधार पर अपनी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की है।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल दो मई को केंद्र से राजोआना की ओर से दायर याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला करने को कहा था ।उसने राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजने में देरी को लेकर भी केंद्र से सवाल किया था। सरकार से यह बताने के लिए कहा था कि संबंधित अधिकारी संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को प्रस्ताव कब भेजेंगे जो कुछ मामलों में सजा देने, निलंबित करने, हटाने या कम करने की राष्ट्रपति की शक्तियों से संबंधित है।
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