बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट से भी बरकरार, ये है पूरा मामला

Balwant Singh Rajoana:पंजाब के भूतपूर्व सीएम बेअंत सिंह हत्याकांड में बलवंत सिंह राजोआना को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को बरकरार रखा है।

बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा बरकरार

मुख्य बातें
  • 1995 में पंजाब के सीएम रहे बेअंत सिंह की हुई थी हत्या
  • बलवंत सिंह राजोआना को स्पेशल कोर्ट ने दी थी फांसी
  • सजा के खिलाफ राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी गुहार

Balwant Singh Rajoana Death Sentence: बलवंत सिह राजोआना को पंजाब के सीएम रहे बेअंत सिंह हत्याकांड(Punjab CM Beant Singh Assassination Case) में फांसी की सजा पहले से मिली हुई है। सजा को कम कराने के लिए उसकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट()Supreme Court of India) में अर्जी दायर की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा है। राजोआना, पंजाब पुलिस में कांस्टेबल था। उसके ऊपर आरोप है कि 31 अगस्त 1995 को जब पंजाब के सीएम बेअंत सिंह की हत्या की गई तो वो भी उसमें शामिल था। 2007 में स्पेशल कोर्ट ने उसे फांसी सजा सुनाई थी।अदालत ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी राजोआना की दया याचिका पर विचार कर सकते हैं।हमने जो निर्णय लिया है वह यह है कि याचिकाकर्ता की दया याचिका पर निर्णय टालने का गृह मंत्रालय का रुख भी यहां दिए गए कारणों के लिए हमारा निर्णय है।

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पिछले 26 साल से जेल में राजोआना

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बलवंत सिंह राजोआना पिछले 26 साल से जेल (balwant singh in punjab jail) में है।शीर्ष अदालत ने दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलीलें सुनने के बाद दो मार्च को राजोआना की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।इससे पहले मुकुल रोहतगी के वकील ने कहा था कि इतने लंबे समय तक दया याचिका पर बैठे रहने के दौरान उन्हें मौत की सजा पर रखना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। उसकी दया याचिका एक दशक से अधिक समय से सरकार के समक्ष लंबित है।शीर्ष अदालत ने पिछले साल 11 अक्टूबर को कहा था कि राजोआना की याचिका पर सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की जाएगी।श्री रोहतगी ने कहा था कि उनके मुवक्किल 26 साल से जेल में थे और शीर्ष अदालत के निर्णयों के आधार पर एक ठोस मामला है कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के अधिकार) के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।

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