तलाक के बाद मुस्लिम महिलाएं पति से मांग सकती हैं गुजारा भत्ता, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Muslim woman maintenance : एक व्यक्ति ने अपनी तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च अदालत में अर्जी दायर की थी। इस अर्जी को खारिज करते जस्टिस बीवी नागरत्ना एवं जस्टिस ए जॉर्ज मसीह की पीठ ने अपना फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला-सभी महिलाएं गुजारा भत्ता पाने की हकदार।

मुख्य बातें
  • तेलंगाना के व्यक्ति ने पूर्व पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश को चुनौती दी थी
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी महिलाओं को गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार है
  • कोर्ट ने कहा कि तलाक शुदा महिलाएं सामान्य कानून के जरिए इस मांग सकती हैं
Muslim woman maintenance : महिलाओं के गुजारा भत्ता पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं और तलाक के बाद भी वह पति से इसकी मांग कर सकती हैं। दरअसल, एक व्यक्ति ने अपनी तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च अदालत में अर्जी दायर की थी। इस अर्जी को खारिज करते जस्टिस बीवी नागरत्ना एवं जस्टिस ए जॉर्ज मसीह की पीठ ने अपना फैसला सुनाया।

हाई कोर्ट ने 10 हजार रुपए देने का निर्देश दिया था

तेलंगाना हाई कोर्ट ने मोहम्मद अब्दुल समद को गुजारा भत्ते के रूप में अपनी पूर्व पत्नी 10,000 रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया था। मुस्लिम व्यक्ति ने हाई कोर्ट के इस निर्देश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अर्जी पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि तलाक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1986 एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला को सीआपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता मांगने की इजाजत नहीं देता। वकील की इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि सामान्य कानून के तहत एक मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार है।
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