Adani Hindenburg case : अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग के आरोपों पर SC का फैसला, कोर्ट ने कहा-जांच SIT के पास भेजने का आधार नहीं

Adani Hindenburg case : अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों पर स्टॉक मार्केट से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कोर्ट की निगरानी में आरोपों की जांच कराने की मांग की गई है। आरोप है कि अडाणी समूह द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी की गई है।

Supreme court verdict on Adani Hindenburg case

अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर एससी का फैसला।

Adani Hindenburg case : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़ी कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि जांच सेबी से लेकर एसआईटी के पास भेजने का कोई आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सेबी से दो लंबित मामलों की जांच तीन महीने में पूरी करने के लिए कहा है। सेबी के पास आरोपों से जुड़े 24 मामले हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि अदालत द्वारा नियुक्त पैनल की सिफारिशों पर सरकार एवं सेबी को कार्यवाही करनी चाहिए। अदालत ने हा कि सेबी के नियामकीय फ्रेमवर्क में दखल देने का उसका अधिकार सीमित है।

बता दें कि अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों पर स्टॉक मार्केट से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कोर्ट की निगरानी में आरोपों की जांच कराने की मांग की गई है। आरोप है कि अडाणी समूह द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी की गई है।

कोर्ट ने 24 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा

इससे पहले प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 नवंबर को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि शेयर बाजार नियामक सेबी को 'बदनाम' करने का उसके पास कोई कारण नहीं है, जिसने अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच की थी।

सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि बाजार नियामक ने जो किया है, उस पर संदेह के लिए उसके सामने कोई सामग्री नहीं है।

'रिपोर्ट को पूरी तरह से सही नहीं माना जा सकता'

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप की ओर से 'कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़ी धोखाधड़ी' करने का दावा किया गया है। पिछले महीने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जो कुछ कहा गया है, उसे पूरी तरह से सही नहीं माना जा सकता।

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